'दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए लोगों से अधिक स्वैच्छिक डोनेशन प्राप्त करने के लिए टीवी, रेडियो पर क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म को सार्वजनिक करने पर विचार करें': दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा
दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने केंद्र सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से कहा है कि दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए लोगों से अधिक स्वैच्छिक डोनेशन प्राप्त करने के लिए क्राउडफंडिंग को टेलीविजन, रेडियो या किसी अन्य मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्रचारित करने पर विचार करें।
कोर्ट ने कहा कि अब तक किए गए प्रयासों का अधिक परिणाम नहीं निकला है क्योंकि दुर्लभ बीमारियों के मुद्दे को समाज में पर्याप्त महत्व नहीं मिला है।
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने कहा,
"इस प्रकार, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए लोगों से अधिक स्वैच्छिक डोनेशन प्राप्त करने के लिए क्राउडफंडिंग को टेलीविजन, रेडियो या किसी अन्य मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्रचारित करने पर विचार करना चाहिए।"
अदालत डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी), हंटर सिंड्रोम जैसी दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बच्चों से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
याचिका में मरीजों के लिए मुफ्त इलाज की मांग की गई है, जिनका इलाज बहुत महंगा है।
अदालत को केंद्र सरकार ने बताया कि उचित और प्रभावी चैनलों का उपयोग करके क्राउडफंडिंग प्लेटफार्मों का प्रचार किया जा रहा है।
जस्टिस सिंह को सूचित किया गया कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कंपनी अधिनियम की अनुसूची 7 में कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के रूप में शामिल करने के लिए दुर्लभ बीमारियों के लिए डोनेशन के लिए अनुरोध किया था। हालांकि, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय को अभी तक इस पर ध्यान नहीं देना है।
अदालत ने कहा,
"दुर्लभ बीमारियों के लिए डोनेशन की विशिष्ट मान्यता सुनिश्चित करने के लिए इस अदालत की राय है कि इसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुरोध के अनुसार अनुसूची 7 में शामिल किया जाना चाहिए।"
तदनुसार, अदालत ने कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय से अनुरोध की स्थिति प्रदान करने के लिए एक हलफनामा मांगा।
मामले की सुनवाई अब 30 जनवरी 2023 को होगी।
केस टाइटल: मास्टर अर्नेश शॉ बनाम भारत सरकार और अन्य।