'मोटरसाइकिल टैक्सी सेवाओं की परमिट के लिए किए गए आवेदन पर दो महीने के भीतर विचार करें': कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया

Update: 2021-05-10 10:30 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को राज्य में मोटरसाइकिल टैक्सी सेवाओं की परमिट के लिए किए गए आवेदन पर दो महीने के भीतर विचार करने और निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्न और न्यायमूर्ति जे एच काजी की खंडपीठ ने एएनआई टेक्नॉलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर अपील का निपटारा करते हुए यह निर्देश दिया।

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 2 (7) अनुबंध गाड़ी को परिभाषित करती है जो एक समावेशी परिभाषा है और इसमें परिवहन वाहनों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की शक्ति है जिसमें अनुबंध के तहत सवारी ले जाने वाली गाड़ी और परमिट के लिए किए गए आवेदन पर विचार करने का प्रावधान है। इसके अलावा एमवी अधिनियम की धारा 73 के अनुसार अनुबंध गाड़ी की परमिट दी जाती है। धारा 74 के प्रावधानों के तहत चलाने की अनुमति दी जाएगी और इसके साथ ही कुछ शर्तों में छूट भी दी जा सकती है।

मोटर साइकिल टैक्सी चलाने की अनुमति की मांग की गई है जो कि अधिसूचना दिनांक 05/11/2004 के अनुसार एक परिवहन वाहन है, क्योंकि अपीलकर्ता मोटरसाइकिल अनुबंध गाड़ी चलाने के लिए परमिट देने की मांग कर रहा है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 15/12/2016 को प्रस्तुत की गई शहरी गतिशीलता को बढ़ावा देने के लिए टैक्सी नीति दिशानिर्देश का प्रस्ताव करने के लिए गठित समिति की रिपोर्ट पर भरोसा जताया, जिसमें शहरी गतिशीलता के नए रूपों को प्रोत्साहित करने और अनुमति देने के लिए एक विशिष्ट संदर्भ है। बाइक शेयरिंग और ई-रिक्शा की तरह और देरी को कम करने और डिजिटल तकनीक के तहत परमिट की ऑनलाइन ग्रांट की जरूरत है, ऐसे वाहनों के लिए जो बाइक शेयरिंग और ई-रिक्शा में लगे हुए हैं।

प्रतिवादी के लिए पेश हुए अतिरिक्त सरकार ने प्रस्तुत किया कि अब तक ऐसा कोई नियम नहीं हैं जो मोटरसाइकिल टैक्सियों को परमिट जारी करने के लिए तैयार किए गए हैं जैसे कि और विभाग को यह जांच करनी होगी कि क्या एमवी अधिनियम और नियमों के मौजूदा प्रावधानों के तहत है। नियम राज्य और केंद्र सरकार द्वारा इसे बनाया गया। अपीलकर्ता द्वारा मांग की गई परमिट के अनुरोध पर विचार किया जा सकता है।

याचिकाकर्ता ने इसके अलावा यह प्रस्तुत किया कि यदि न्यायालय मोटरसाइकिल टैक्सी चलाने के लिए परमिट देने के मामले में अपीलकर्ता के मामले पर विचार करने के लिए निर्देश जारी करता है तो इसे कानून के रूप में माना जाएगा।

कोर्ट का अवलोकन

पीठ ने मोटर वाहन अधिनियम और केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के तहत प्रासंगिक प्रावधानों के माध्यम से कहा कि,

"मोटरसाइकिल का उपयोग यात्री को ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यहां तक कि केंद्र सरकार की अधिसूचना के अनुसार भी ऐसी मोटरसाइकिल का इस्तेमाल यात्री को ले जाने के लिए किया जाता है। एमवी एक्ट, 1988 की धारा 2 की उप-धारा (7) के तहत अनुबंध शुल्क, कॉन्ट्रैक्ट कैरिज परिभाषित किए गए हैं।"

पीठ ने आगे कहा कि,

"कॉन्ट्रैक्ट कैरिज की परिभाषा एक समावेशी परिभाषा है, जिसमें एक मैक्सी-कैब और एक मोटर-कैब शामिल है। इसमें बैठने वाले यात्रियों से अलग-अलग किराया लिया जाता है। कॉन्ट्रैक्ट कैरिज की परिभाषा एक समावेशी परिभाषा है, न कि एक संपूर्ण। इसमें मोटरसाइकिल टैक्सी भी शामिल है,जिसका उपयोग यात्री ले जाने के लिए किया जाता है और साथ ही इसमें पीछे की सीट पर यात्री को बिठाया जाता है क्योंकि इसे एमवी एक्ट,1988 अधिनियम के प्रावधानों के तहत केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करके परिवहन वाहन के रूप में वर्गीकृत किया गया है।"

कोर्ट ने अंत में कहा कि,

"वर्तमान मामले में किराए के लिए मोटर कैब या मोटरसाइकिल / टैक्सी सेवा के लिए परमिट देने की मांग की गई है और इसलिए हम पाते हैं कि अपीलकर्ता या किसी अन्य संस्था द्वारा किए जाने वाले आवेदन पर प्रतिवादी संख्या 1 से 4 को पूर्वोक्त प्रावधानों के साथ-साथ कानून के अनुसार विचार किया जाना चाहिए। "

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



Tags:    

Similar News