कैश-फॉर-क्वेरी मामला: महुआ मोइत्रा ने मीडिया लीक पर जताई आपत्ति, हाईकोर्ट ने कड़ी गोपनीयता बरतने के दिए निर्देश
तृणमूल कांग्रेस (TMC) की नेता महुआ मोइत्रा ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। उन्होंने आरोप लगाया कि कथित कैश-फॉर-क्वेरी घोटाले में CBI द्वारा लोकपाल को सौंपी गई रिपोर्ट की खबर मीडिया में लीक कर दी गई।
जस्टिस सचिन दत्ता ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि वह याचिका का निपटारा इस निर्देश के साथ करेंगे कि सभी संबंधित पक्ष सख्त गोपनीयता बनाए रखें।
कोर्ट ने कहा,
“मैं स्पष्ट कर दूंगा कि गोपनीयता बनाए रखी जाए। मैं याचिका का निपटारा करूंगा।”
जस्टिस दत्ता ने आगे कहा,
“इसमें कोई शक नहीं कि गोपनीयता बनाए रखनी होगी। इसमें कोई विवाद नहीं कि हर कोई गोपनीयता बनाए रखने के लिए बाध्य है।”
महुआ मोइत्रा की ओर से एडवोकेट समुद्र सारंगी ने दलील दी कि वह कोई 'टेक डाउन' आदेश नहीं मांग रहे, लेकिन लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 की धाराओं और प्राधिकरण के परिपत्र का पालन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैसे ही CBI ने लोकपाल के समक्ष रिपोर्ट दाखिल की इसकी जानकारी मीडिया को दे दी गई।
बता दें, महुआ मोइत्रा को 8 दिसंबर, 2023 को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था, जब नैतिकता समिति ने इस मामले में उन्हें दोषी पाया। उन पर आरोप था कि उन्होंने व्यवसायी और मित्र दर्शन हीरानंदानी के ओर से संसद में प्रश्न पूछने के बदले नकद प्राप्त किया।
मीडिया को दिए इंटरव्यू में उन्होंने यह स्वीकार किया था कि उन्होंने हीरानंदानी को अपना संसद लॉग-इन और पासवर्ड दिया था लेकिन यह दावा खारिज किया कि उन्होंने उनसे कोई नकद लिया।
विवाद तब शुरू हुआ जब निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर शिकायत की कि महुआ मोइत्रा ने कथित रूप से सवाल पूछने के बदले रिश्वत ली। दुबे का कहना था कि यह आरोप जय देहाद्राई द्वारा उन्हें लिखे गए पत्र से उपजे।
इसके बाद महुआ मोइत्रा ने दुबे देहाद्राई और मीडिया संस्थानों को कानूनी नोटिस भेजा, जिसमें उन्होंने सभी आरोपों का खंडन किया।
नोटिस में कहा गया कि दुबे ने तात्कालिक राजनीतिक लाभ के लिए लोकसभा अध्यक्ष को लिखे गए पत्र में झूठे और मानहानिकारक आरोप दोहराए।
नोटिस में यह भी कहा गया कि महुआ मोइत्रा ने कभी भी अपने सांसद के कर्तव्यों के निर्वहन के संबंध में, चाहे वह संसद में पूछे गए प्रश्न हों या अन्य कोई मामला, किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक, नकद, उपहार या लाभ स्वीकार नहीं किया।
केस टाइटल: महुआ मोइत्रा बनाम निशिकांत दुबे एवं अन्य