नया POCSO नियम लागू, अब मुआवजे का भुगतान 30 दिनों के अंदर करना होगा

Update: 2020-03-14 03:15 GMT

केंद्र सरकार ने बाल यौन उत्पीड़न संरक्षण नियम (POCSO)2020 को अधिसूचित कर दिया है जो 2012 के स्थान पर लागू होगा। इस नए नियम में जो बदलाव किया गया है उसके अनुसार अब बाल पीड़ितों को मुआवज़े का भुगतान 30 दिनों के अंदर होना है।

इस नियम के माध्यम से विशेष अदालत को अंतरिम मुआवज़े का आदेश देने का अधिकार दे दिया गया है ताकि एफआईआर दायर किए जाने तक किसी भी स्तर पर पुनर्वास और राहत की ज़रूरत की पूर्ति हो सके। नए नियम के अनुसार, अगर आरोपी दोषी साबित होता है या उसको रिहा कर दिया जाता है या आरोपी का पता नहीं चलता है या उसकी पहचान नहीं हो पाती है और विशेष अदालत को लगता है कि बच्चे को इस अपराध के कारण नुक़सान हुआ है या चोट पहुंची है तो उस स्थिति में अदालत को मुआवज़े का आदेश देने का अधिकार होगा।

नए नियम के अनुसार, राज्य सरकार अदालत का आदेश प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर मुआवज़े का भुगतान करेगी।

नियम के अनुसार, जब एसजेपीयू का कोई अधिकारी या स्थानीय पुलिस अधिनियम की धारा 19 के तहत कोई सूचना प्राप्त करता है कि इस अधिनियम के तहत कोई अपराध हुआ है और वह इस बारे में संतुष्ट है कि जिस बच्चे के खिलाफ हिंसा हुई है उसे तत्काल चिकित्सा और संरक्षण की ज़रूरत है तो स्थानीय पुलिस इस तरह की सूचना के प्राप्त होने के 24 घंटे के भीतर इस बच्चे को नज़दीक के किसी अस्पताल में ले जाएगा ताकि उसे आकस्मिक चिकित्सा उपलब्ध कराई जा सके।

इस नियम में बच्चे की देखभाल और संरक्षण का प्रावधान भी किया गया है। नियम 11 में ऐसे अश्लील साहित्य के बारे में रिपोर्टिंग का प्रावधान है जिसका उस बच्चे से ताल्लुक़ है।

इस नियम के तहत बच्चे के उम्र के हिसाब से शिक्षा की सामग्री और पाठ्यक्रम तैयार करने, निजी सुरक्षा के विभिन्न पक्षों जिसमें भौतिक और वर्चुअल पहचान; उनकी भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा; यौन हिंसा को रोकना और इससे उनका संरक्षण; बच्चों की हेल्पलाइन- 1098 सेवाएं सहित अपराधों को रोकने के लिए अपराधों की जानकारी देने की प्रक्रिया; लिंग के बारे में उन्हें संवेदनशील बनाने और बच्चों के ख़िलाफ़ इस अधिनियम के तहत अपराधों को रोकने के लिए लैंगिक समानता और समता की उनको जानकारी देना शामिल है। 

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