सांप्रदायिक हैशटैग : सिर्फ कंटेंट हटाना पर्याप्त नहींं, तेलंंगाना हाईकोर्ट ने ट्विटर से जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा

Update: 2020-07-25 11:06 GMT

तेलंगाना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को जून 2020 में ट्विटर को जारी नोटिस पर जवाब देने को कहा, जिसमें यह पूछा गया था कि इसने अपनी वेबसाइट से "सांप्रदायिक हैशटैग" को हटाने के लिए त्वरित कार्रवाई क्यों नहीं की। यह नोटिस मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने जारी किया था।

चीफ जस्टिस राघवेंद्र सिंह चौहान और जस्टिस बी विजयसेन रेड्डी की खंडपीठ ने 20 अगस्त, 2020 तक इस मामले में अमेरिका की कंपनी को अपना हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

इस याचिका में कहा गया है कि ट्विटर पर ट्रेंड करनेवाले "सांप्रदायिक हैशटैग" के माध्यम से पूरे मुस्लिम समुदाय को निशाना बना गया है और उन्हें कोरोना वायरस फैलाने का दोषी बताया गया।

 बेंच ने इस याचिका पर केंद्र सरकार, राज्य सरकार और ट्विटर को नोटिस जारी किया था।

अदालत ने प्रतिवादियों से कहा था कि वे चार सप्ताह के भीतर इस मामले में प्रति हलफ़नामा दायर करें और बताएं क्यों इस तरह के ट्वीट को हटाया नहीं गया।

याचिककर्ता वक़ील खाजा ऐजाजुद्दीन ने इससे पहले वेबसाइट्स पर इस्लाम से डर पैदा करने वाले ऐसे पोस्ट को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी जिससे मुस्लिम समुदाय की भावना को ठेस पहुंच सकती है।

उन्होंने कहा कि तब्लीगी जमात के सदस्य जो जांच के बाद COVID 19 पॉज़िटिव पाए गए उस मामले को काफ़ी तूल दिया गया और इस धार्मिक जलसे को सांप्रदायिक रंग दे दिया गया जिसकी वजह से सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर पोस्ट्स लिखे गए जिनको भारी प्रचार मिला और इस बीमारी को धर्म से जोड़ दिया गया।  

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