वर्णान्धता सिपाही के पद पर तैनाती से इनकार का आधार नहीं हो सकती : गुजरात हाईकोर्ट
Gujarat High Court
गुजरात हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी उम्मीदवार को लोक रक्षक दल में उसके मेरिट के अनुसार सभी लाभों के साथ सिर्फ़ इसलिए नियुक्ति से मना नहीं किया जा सकता क्योंकि उसे वर्णान्धता है।
न्यायमूर्ति बिरेन वैष्णव ने सूरत पुलिस के डीजेपी और आयुक्त को निर्देश दिया कि वह याचिककर्ताओं के मामले पर उनकी वर्णान्धता को नज़रंदाज़ करते हुए संबंधित पद पर उसकी नियुक्ति पर विचार करें। कोर्ट ने कहा कि अगर उनके ख़िलाफ़ और कुछ नहीं है तो उन्हें तत्काल इस पद पर नियुक्ति दी जाए।
एकल पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने इससे पहले अपने फ़ैसले में कह चुका है कि वर्णान्धता तृतीय श्रेणी के किसी पद पर नियुक्ति के लिए अयोग्यता नहीं है और लोक रक्षक के पद पर तो एकदम नहीं जिस पर आवेदनकर्ता अपनी नियुक्ति चाहते हैं।
कोर्ट ने कहा कि अगर याचिकाकर्ताओं को दृष्टि संबंधी कोई गड़बड़ी है तो इसके लिए वे खद ज़िम्मेदार नहीं हैं और इसे वे ऐनक लगाकर दूर कर सकते हैं। उनका मामला ग्रूप B में नहीं आता जिसमें 'ग्लास के साथ दृष्टि का बहुत अच्छा और सामान्य रूप से अच्छा होना ज़रूरी है।
ग्रुप D के तहत पोस्ट में, जिसमें टेबल पर काम करना होता है, वर्णान्धता को अयोग्यता नहीं बताया गया है। इसलिए प्रतिवादियों ने मेडिकल फ़िटनेस के संबंध में नियम विरुद्ध काम किया है।
इस बारे में अदालत ने भारत संघ एवं अन्य बनाम सत्यप्रकाश वशिष्ठ (Suppl) 2 SCC 52] मामले में आए फ़ैसले का भी ज़िक्र किया।
इसके अनुरूप, एकल पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के मामले पर इस आदेश की प्रति के प्राप्त होने के आठ सप्ताह के भीतर इस आदेश के अनुरूप ग़ौर किया जाना चाहिए।
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