सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने न्याय प्रणाली में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए पहुंच सुनिश्चित करने के लिए "सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन एक्सेसिबिलिटी" का गठन किया
भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट परिसर के व्यापक एक्सेसिबिलिटी ऑडिट का आह्वान किया है। ऑडिट का उद्देश्य न्याय प्रणाली में पहुंच सुनिश्चित करना और विशेष रूप से दिव्यांग व्यक्तियों को भारत के सुप्रीम कोर्ट में उनके इंटरफेस में आने वाली कठिनाइयों को समझना है।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने दिव्यांग व्यक्तियों के अंतरराष्ट्रीय दिवस (03 दिसंबर) के अवसर पर "एक्सेसिबिलिटी पर सुप्रीम कोर्ट कमेटी" का गठन किया।
जस्टिस एस रवींद्र भट समिति की अध्यक्षता कर रहे हैं और इसे भौतिक और साथ ही तकनीकी पहुंच दोनों के लिए एक एक्सेसिबिलिटी ऑडिट करने के लिए कहा गया है। समिति को दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एक प्रश्नावली तैयार करने और जारी करने का भी काम सौंपा गया है, जो अपनी समस्याओं की प्रकृति और सीमा का आकलन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट परिसर का दौरा करते हैं। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि समिति द्वारा सुप्रीम कोर्ट के वकीलों, वादकारियों, इंटर्न आदि से भी इनपुट मांगे जाएंगे।
समिति में एनएलएसआईयू, बेंगलुरु के एक प्रोफेसर भी शामिल हैं और यह एक रिपोर्ट तैयार करेगी जिसमें ऑडिट और सर्वेक्षण के परिणाम शामिल होंगे। तदनुसार, समिति उन प्रस्तावों की सिफारिश करेगी जो विकलांग व्यक्तियों की पहुंच में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायता करेंगे। समिति के अन्य सदस्यों में सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत एक दिव्यांग व्यक्ति, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा नामित एक दिव्यांग वकील और NALSAR यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ में सेंटर फॉर डिसएबिलिटी स्टडीज द्वारा नामित एक व्यक्ति शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री का एक अधिकारी समिति का सदस्य सचिव होगा।
भारत के मुख्य न्यायाधीश की यह पहल 2022 के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की थीम - "समावेशी विकास के लिए परिवर्तनकारी समाधान: एक सुलभ और न्यायसंगत दुनिया को बढ़ावा देने में नवाचार की भूमिका" ("Transformative solutions for inclusive development : the role of innovation in fuelling an accessible and equitable world")के अनुरूप है।