केंद्र सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर की सिफारिश पर रोक लगाई

Update: 2022-10-12 04:23 GMT

जस्टिस डॉ एस मुरलीधर

केंद्र सरकार ने कर्नाटक, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर के उच्च न्यायालयों में मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गई तीन सिफारिशों को मंजूरी दे दी।

हालांकि, केंद्र ने जस्टिस डॉ एस मुरलीधर, जो वर्तमान में उड़ीसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत हैं, को मद्रास उच्च न्यायालय में ट्रांसफर करने से संबंधित एक सिफारिश पर रोक लगा दी है।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 28 सितंबर को जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस डॉ. एस मुरलीधर को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट और उड़ीसा हाईकोर्ट से क्रमश: राजस्थान और मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में ट्रांसफर करने के संबंध में एक प्रस्ताव दिया।

हालांकि, इसी कॉलेजियम प्रस्ताव में जस्टिस मुरलीधर के संबंध में किए गए प्रस्ताव की अनदेखी करते हुए न्याय विभाग ने 11 अक्टूबर को ही जस्टिस मिथल के ट्रांसफर की अधिसूचना जारी कर दी थी।

विभाग ने कोलेजियम द्वारा 28 सितंबर को जस्टिस पीबी वराले को कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और जस्टिस अली मोहम्मद माग्रे को जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के लिए की गई सिफारिशों को भी अधिसूचित किया।

केंद्र द्वारा कॉलेजियम प्रस्तावों को विभाजित करने की अतीत में आलोचना हुई है - विशेष रूप से सीनियर एडवोकेट गोपाल सुब्रमण्यम (2014), जस्टिस केएम जोसेफ (2018) और जस्टिस अकील कुरैशी (2019) से संबंधित प्रस्तावों में। कॉलेजियम प्रस्ताव के पृथक्करण की इस आधार पर आलोचना की जाती है कि यह कार्यपालिका को चुनने के लिए जगह देता है।

जस्टिस मुरलीधर ने सितंबर 1984 में चेन्नई में लीगल प्रैक्टिस शुरू किया। वह 1987 में सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित हो गए।

उन्हें 2006 में दिल्ली उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। वह उच्च न्यायालय की उस पीठ का हिस्सा थे जिसने पहली बार 2009 नाज़ फाउंडेशन मामले में समलैंगिकता को वैध बनाया था।

उन्होंने हाशिमपुरा नरसंहार मामले में उत्तर प्रदेश प्रांतीय सशस्त्र पुलिस (पीएसी) के सदस्यों और 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी ठहराने वाली खंडपीठ का भी नेतृत्व किया।

दिल्ली बार के कड़े विरोध के बीच फरवरी 2020 में उन्हें पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था। वह उस समय दिल्ली उच्च न्यायालय के तीसरे सबसे वरिष्ठतम न्यायाधीश थे और उनका तत्काल प्रभाव से ट्रांसफऱ कर दिया गया था।

दिल्ली पुलिस को 2020 के दिल्ली दंगों के संबंध में अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा, अभय वर्मा और कपिल मिश्रा जैसे राजनेताओं के खिलाफ भड़काऊ भाषणों के लिए प्राथमिकी दर्ज करने के संबंध में निर्णय लेने का निर्देश देने के तुरंत बाद स्थानांतरण को अधिसूचित किया गया था।

जनवरी 2021 में जस्टिस मुरलीधर ने उड़ीसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। उनके नेतृत्व में, उड़ीसा उच्च न्यायालय ने परीक्षण के आधार पर मुख्य न्यायाधीश के न्यायालय की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू की।

उच्च न्यायालय ने कई ई-सेवाएं भी शुरू की हैं जैसे कि उच्च न्यायालय का मोबाइल ऐप, जिला और अधीनस्थ न्यायालयों के समक्ष मामलों में जुर्माना के ऑनलाइन भुगतान की सुविधा, भुवनेश्वर-कटक आयुक्तालय क्षेत्र में यातायात ई-चालान मामलों से निपटने के लिए वर्चुअल कोर्ट की प्रणाली। .

सीजे मुरलीधर ने (i) उच्च न्यायालय और जिला न्यायालयों में कोर्ट फीस का ऑनलाइन भुगतान, (ii) राज्य भर में 244 न्यायालय प्रतिष्ठानों में ई-फाइलिंग पोर्टल, (iii) प्रत्येक जिला न्यायालय परिसर में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग केबिन और ( iv) 78 तालुका कोर्ट परिसरों में ई-सेवा केंद्र शुरू किया।


Tags:    

Similar News