पुलिस थानों में लगे सीसीटीवी में ऑडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट में पुलिस ने बताया
दिल्ली हाईकोर्ट को पुलिस ने सूचित किया कि पुलिस थानों और पुलिस चौकियों में पहले से लगे सीसीटीवी सिस्टम में ऑडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा नहीं है।
न्यायालय को आगे बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों के अनुपालन में दिल्ली पुलिस ने पहले ही 192 पुलिस स्टेशनों और 53 पुलिस में 30 दिनों तक वीडियो फुटेज स्टोरेज के साथ 2127 सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं, जो प्रभावी ढंग से कार्य कर रहे हैं।
दिल्ली पुलिस द्वारा पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया,
"प्रत्येक पुलिस स्टेशन में कुल 10 सीसीटीवी कैमरे और प्रत्येक पुलिस पोस्ट में 4/5 कैमरे लगाए गए हैं, जो पोस्ट के आकार के आधार पर पुलिस स्टेशन/पुलिस पोस्ट भवन (भवनों) के सभी आवश्यक स्थानों को कवर करते हैं।"
सुप्रीम कोर्ट के परमवीर सिंह सैनी बनाम बलजीत सिंह और अन्य मामले में जस्टिस अनु मल्होत्रा ने मई में पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी कैमरों के ऑडियो फुटेज लगाने पर शहर की पुलिस से जवाब मांगा था।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया कि सीसीटीवी से पुलिस स्टेशनों, लॉक-अप, कॉरिडोर, लॉबी, रिसेप्शन एरिया, आउटहाउस, इंस्पेक्टर के कमरे, सब-इंस्पेक्टर के कमरे, लॉक-अप रूम के बाहर के इलाकों, स्टेशन हॉल, थाना परिसर के बाहर (अंदर नहीं), वाशरूम, ड्यूटी ऑफिसर का कमरा, पुलिस स्टेशन का पिछला हिस्सा आदि में लगाए जाने चाहिए। यह भी कहा कि सीसीटीवी सिस्टम को नाइट विजन से लैस होना चाहिए और इसमें वीडियो फुटेज के रूप में ऑडियो भी होना चाहिए।
स्टेटस रिपोर्ट में आगे कहा गया कि 2175 अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगाने और मौजूदा सिस्टम अपडेट के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गठित समिति ने निष्कर्ष निकाला कि स्विच, पावर केबल, डेटा केबल, हार्ड डिस्क, वर्कस्टेशन, अतिरिक्त मॉनिटर आदि की आवश्यकता होगी।
स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया,
"माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के कार्यान्वयन के लिए अनुमानित लागत 81,55,97,971 / रुपए की गणना की गई है।"
यह भी सूचित किया गया कि तकनीकी समिति की रिपोर्ट के आधार पर क्रय समिति ने पूर्व के निविदा को निरस्त करने और नई निविदा आमंत्रित करने की स्वीकृति हेतु गृह मंत्रालय (एमएचए) में सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति प्राप्त करने का प्रस्ताव भेजा है। अब यह निविदा एमएचए के समक्ष विचाराधीन है।
इसके बाद एक अगस्त को कोर्ट ने गृह मंत्रालय के माध्यम से केंद्र को याचिका में पक्षकार के रूप में रखा और अपडेट स्टेटस रिपोर्ट दायर करने की भी मांग की।
तदनुसार, मामले को 27 सितंबर को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह आवश्यक है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन किया जाए।
अदालत ने आदेश दिया,
"याचिकाकर्ता का प्रत्युत्तर प्रतिवादी नंबर तीन की प्रतिक्रिया पर दो सप्ताह की अवधि के भीतर दायर किया जाना चाहिए। याचिका के प्रतिवादी नंबर चार की प्रतिक्रिया याचिकाकर्ता के प्रत्युत्तर के साथ दो सप्ताह की अवधि के भीतर दायर की जानी चाहिए। याचिकाकर्ता द्वारा दो सप्ताह की अवधि के भीतर दायर किया जा रहा है।"
कोर्ट ने एसएचओ, पी.एस. नबी करीम मस्जिद दरगाह हजरत ख्वाजा बाकी बिल्लाह, पहाड़गंज, दिल्ली के इमाम के रूप में अपने आधिकारिक और धार्मिक कर्तव्यों के निर्वहन में याचिकाकर्ता को पर्याप्त पुलिस सुरक्षा प्रदान करके हाईकोर्ट द्वारा पारित 17 अगस्त, 2020 के फैसले का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कहा।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट फैसले के संदर्भ में एक मई, 2022 को दोपहर 2 बजे से 7 बजे के बीच की घटना से संबंधित थाने के अंदर विशेष रूप से एसएचओ के कमरे में लगे कैमरों के ऑडियो और वीडियो दोनों के सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए एसएचओ को निर्देश देने की भी मांग की गई।
इसने राज्य से डीसीपी विजिलेंस की सीधी निगरानी में या कमरे में हुई घटना पर उच्च पद के पुलिस अधिकारी द्वारा प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों पर विचार करते हुए निष्पक्ष तरीके से गहन जांच करने की भी मांग की।
याचिकाकर्ता की ओर से वकील एम. सुफियान सिद्दीकी, राकेश भुगरा और आलिया वेरोनिका पेश हुए। राज्य की ओर से अतिरिक्त सरकारी वकील नंदिता राव पेश हुईं।
केस टाइटल: मोहम्मद अरशद अहमद बनाम स्टेट एनसीटी ऑफ दिल्ली और अन्य।