पुलिस सुपरिटेंडेंट के नाम से फर्जी कॉल करने, जमीन और पैसों के लेन-देन को लेकर दवाब डालने का मामला: पटना हाईकोर्ट ने आरोपी-व्यक्ति को जमानत दी

Update: 2022-05-19 12:13 GMT

पटना हाईकोर्ट ने पुलिस सुपरिटेंडेंट के नाम से फर्जी कॉल करने, जमीन और पैसों के लेन-देन को लेकर दवाब डालने के मामले में आरोपी-व्यक्ति को जमानत दे दी।

जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद की एकलपीठ ने आदेश में कहा,

"निचली अदालत याचिकाकर्ता के आपराधिक इतिहास की जांच करेगी और यदि किसी भी स्तर पर यह पाया जाता है कि याचिकाकर्ता ने अपने आपराधिक इतिहास को छुपाया है, तो निचली अदालत याचिकाकर्ता के जमानत बांड को रद्द करने के लिए कदम उठाएगी।"

वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता मोहम्मद इमरान पर भारतीय दंड संहिता की धारा 419, 420, 385, 387, 120 (बी)/34 और आईटी एक्ट की धारा 66 (सी)/67 के तहत मामला दर्ज किया गया था।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट लाल बाबू सिंह ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता बचपन से ही ऑप्टिक न्यूरोपैथ के डिमाइलेटिंग के संकेत से दोनों आंखों में विलंबता के लंबे समय तक रहने से पीड़ित है। इस मामले को बारी-बारी से उठाया गया है और अब इससे दोनों आंखों में अंधापन आ गया है। इसलिए याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाए।

याचिकाकर्ता के वकील ने आगे प्रस्तुत किया कि वह 01.11.2021 से हिरासत में है। याचिकाकर्ता का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है।

अभियोजन पक्ष का आरोप है कि शिकायतकर्ता दिनेश प्रसाद को एक मोबाइल नंबर से एक कॉल किया गया था और फोन करने वाले ने खुद को पुलिस अधीक्षक, मोतिहारी के रूप में पेश किया था। फोन करने वाले ने उक्त शिकायतकर्ता दिनेश प्रसाद से जमीन और पैसों के लेन-देन को लेकर कपिलदेव सर्राफ के साथ चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए दबाव डाला।

आरोप है कि पुलिस अधीक्षक के नाम से फर्जी ट्रू कॉलर आईडी बनाई गई और उक्त आईडी से कॉल की गई। मोबाइल के मालिक की पहचान राम प्रसाद के रूप में हुई है और जांच में पता चला है कि रक्सौल के स्थानीय विधायक पुलिस उपनिरीक्षक संजय कुमार सिंह से नियमित रूप से बात कर रहे थे और उन्हें उनके आवास पर भी बुलाया गया था जहं पुलिस उपनिरीक्षक ने पाया कि दिनेश महासेठ, मधु यादव और कपिलदेव सर्राफ बैठे थे और जमीन और पैसे के लेन-देन के संबंध में एक पंचायती हो रही थी।

आरोप है कि मोबाइल के आईएमईआई नंबर के बारे में तकनीकी सेल से पूछताछ करने पर पता चला कि उस आईएमईआई नंबर मोबाइल का मालिक रितेश सिंह है और जब रितेश सिंह के घर पर छापा मारा गया तो वहां राम प्रसाद भी मौजूद था।

अभियोजन पक्ष ने आरोप में यह भी कहा है कि जांच के दौरान राम प्रसाद ने खुलासा किया कि योगी यादव के पुत्र डॉ गंगा कुमार ने उक्त मोबाइल से दिनेश महासेठ को कॉल किया था, लेकिन बाद में सह-आरोपी रितेश सिंह ने खुलासा किया कि यह याचिकाकर्ता था जिसने मोबाइल पर बात की थी।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट ने निवेदन करते हुए कहा कि प्राथमिकी से स्पष्ट है कि अभियोजन की कहानी पूरी तरह से असंगत है।

आगे प्रस्तुत किया गया है कि याचिकाकर्ता 6 महीने से अधिक समय से हिरासत में है, उसके खिलाफ जांच पूरी हो चुकी और सुनवाई के दौरान उसकी उपस्थिति भी सुनिश्चित की जा सकती है।

राज्य की ओर से पेश एपीपी अखिलेश्वर दयाल ने याचिकाकर्ता की जमानत की प्रार्थना का विरोध किया है।

कोर्ट का अवलोकन

कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट लाल बाबू सिंह तथा राज्य की ओर से पेश ए.पी.पी. अखिलेश्वर दयाल की दलीलें सुनीं।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पूर्वोक्त प्रस्तुतीकरण और इस स्तर पर स्पष्ट असंगति को देखते हुए, जब याचिकाकर्ता पहले से ही 6 महीने से अधिक समय तक जेल में रहा है, उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और मुकदमे के दौरान उसकी उपस्थिति भी हो सकती है, यह न्यायालय 25,000 रुपये का जमानत बांड भरने और इतनी ही राशि के दो जमानतदार पेश करने और सीआरपीसी की धारा 437 (3) के तहत निर्धारित शर्तों पर याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है।

कोर्ट ने आगे कहा कि निचली अदालत याचिकाकर्ता के आपराधिक इतिहास की जांच करेगी और यदि किसी भी स्तर पर यह पाया जाता है कि याचिकाकर्ता ने अपने आपराधिक इतिहास को छुपाया है, तो निचली अदालत याचिकाकर्ता के जमानत बांड को रद्द करने के लिए कदम उठाएगी।

केस टाइटल: मोहम्मद इमरान बनाम बिहार राज्य

कोरम: जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील: एडवोकेट लाल बाबू सिंह

प्रतिवादी की ओर से पेश वकील: एपीपी अखिलेश्वर दयाल

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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