[करौली में पुजारी को जिंदा जलाने का मामला] न्यायिक जांच की मांग करने वाली याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया

Update: 2020-10-22 07:19 GMT

राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य के करौली जिले में एक पुजारी को जिंदा जलाये जाने की घटना की न्यायिक जांच के लिए अदालत की निगरानी में एसआईटी गठित करने की मांग करने वाली पत्र याचिका पर नोटिस जारी किया है।

जस्टिस सबीना और चंद्र कुमार सोंगरा की एक डिवीजन बेंच ने 23 अक्टूबर, 2020 के लिए एडवोकेट जनरल, राजस्थान को यह नोटिस जारी किया है।

यह याचिका अधिवक्ता पवन प्रकाश पाठक द्वारा दायर की गई थी, जो इस तरह के बर्बर अपराधों में वृद्धि से दुखी हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के जीवन पर सीधे प्रभाव डालती हैं।

उन्होंने अदालत से केंद्रीय जांच एजेंसी की नियुक्ति करके पूरी घटना की स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी जांच का निर्देश देने और पुजारी के परिवार को सुरक्षा प्रदान करने का आग्रह किया है।

पाठक ने लिखा,

"जीवन का अधिकार मनुष्य का अविभाज्य मूल अधिकार है। यह सबसे महत्वपूर्ण, मानवीय, मौलिक, अविच्छेद्य, पारलौकिक अधिकार है। स्वाभाविक रूप से और तार्किक रूप से इस अधिकार को सर्वोच्च सुरक्षा की आवश्यकता है।"

उन्होंने आगे कहा,

"हाल ही में राजस्थान के करौली में एक पुजारी को जिंदा जलाने की घटना इस माननीय न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में एक ऐसा मामला है, जहां सभी संवैधानिक सुरक्षा पर आंच आई हैं, और जघन्य अपराध की ऐसी श्रृंखला हमारे संविधान की मूल नींव को बाधित करती है और लोग संवैधानिक संस्था में अपना विश्वास खोने लगते हैं। "

7 अक्टूबर, 2020 को राजस्थान के बुकना गाँव के एक 50-वर्षीय पुजारी को जिंदा जला दिया गया था। इस घटना को कथित तौर पर पाँच लोगों द्वारा मंदिर की जमीन पर अतिक्रमण करने को रोकने के बाद अंजाम दिया गया था।

पुजारी को गंभीर हालत में जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां अगले दिन उसने दम तोड़ दिया। कथित तौर पर, पुजारी के परिवार ने उनके अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया जब तक कि उनके साथ न्याय नहीं किया गया।

उन्होंने मांग की कि आरोपी का पूरा परिवार, जो कथित रूप से मामले में शामिल है, को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और किसी प्रकार की कोई कार्रवाई न करने के लिए पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया जाना चाहिए।

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