केवल समझौते के कारण नहीं छोड़ा जा सकता, एक महिला को परेशान करने के पाप का प्रायश्चित करना होगा: दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपी को सामुदायिक सेवा करने का निर्देश दिया

Update: 2022-02-15 13:50 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला के शीलभंग के आरोपी एक व्यक्ति को एक महीने के लिए सामुदायिक सेवा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह देखते हुए कि फैसला दिया है कि उसे केवल शिकायतकर्ता के साथ समझौता करने के कारण नहीं छोड़ा जा सकता है और उसे अपने पाप का प्रायश्चित करना होगा।

जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने आरोपी को 10 फरवरी से 11 मार्च, 2022 तक एक महीने की अवधि के लिए डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल में सामुदायिक सेवा करने का निर्देश दिया। अदालत ने उस व्यक्ति को आर्म्ड फोर्सेस बैटल कैजुअल्टी वेलफेयर फंड में तीन सप्ताह के भीतर 50,000 रुपये की राशि जमा करने का भी निर्देश दिया है।

कोर्ट ने आदेश में कहा है ,"याचिकाकर्ता को केवल इसलिए नहीं छोड़ा जा सकता क्योंकि शिकायतकर्ता/प्रतिवादी नंबर 2 ने किसी कारण से याचिकाकर्ता के साथ समझौता करने का फैसला किया हो।"

मामले में दायर याचिका में धारा 452, 354, 354A/l और 354D आईपीसी के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी। य‌ाचिका में कहा गया था कि पार्टियों ने एक सौहार्दपूर्ण समझौता किया है।

मामले में यह आरोप था कि याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता के साथ छेड़छाड़ की और उसका शील भंग किया और उसने उसे संदेश भेजकर और फोन करके परेशान किया और उसे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी।

सुनवाई के दौरान, पार्टियों ने वचन दिया कि वे दिल्ली मध्यस्थता केंद्र के समक्ष उनके बीच हुए समझौते की शर्तों से बंधे रहेंगे।

कोर्ट ने कहा, "परिणामस्वरूप, भारतीय दंड संहिता की धारा 452/354/354ए/354डी के तहत अपराधों के लिए पुलिस स्टेशन पांडव नगर में दर्ज एफआईआर संख्या 94/2015 दिनांक 04.02.2015 और उससे होने वाली कार्यवाही को निरस्त किया जाता है। पक्षकार अदालत को दिए गए समझौते और अंडरटेकिंग की शर्तें के साथ बाध्य रहेंगे।"

कोर्ट ने कहा कि एक महीने पूरे होने के बाद मेडिकल सुपरिटेंडेंट, डॉ राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल, नई दिल्ली की ओर से जारी एक सर्टिफिकेट भी दाखिल किया जाए, ताकि आदेश का अनुपालन सुनिश्‍चित किया जा सके।

तद्नुसार याचिका का निस्तारण किया गया।

केस शीर्षक: चंदन सिंह @चिंटू बनाम राज्य और अन्य।

सिटेशन: 2022 लाइव लॉ (दिल्ली) 116

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