COVID के कारण एनआईटी जालंधर में रिसर्च स्कॉलर्स के प्रोविजनल एडमिशन कैंसिल; पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने डायरेक्टर/रजिस्ट्रार से मांगा स्पष्टीकरण

Update: 2022-09-30 09:04 GMT

Punjab & Haryana High court

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने COVID-19 महामारी की तीसरी लहर के कारण डॉ बीआर अंबेडकर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जालंधर में पीएचडी प्रोग्राम में कुछ रिसर्च स्‍कॉलर्स को दिए गए अनंतिम प्रवेश को रद्द करने खिलाफ दायर याचिका पर संस्थान के निदेशक/रजिस्ट्रार से स्पष्टीकरण मांगा है।

27 सितंबर को मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रवि शंकर झा और जस्टिस अरुण पल्ली की पीठ को एनआईटी के वकील ने अवगत कराया कि चूंकि याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दे नियमों और प्रवेश आदि से संबंधित हैं, इसलिए केवल प्राधिकरण के अधिकारी ही स्पष्ट‌ीकरण दे सकते हैं।

इसे देखते हुए कोर्ट ने मामले को 11 नवंबर, 2022 तक के लिए स्थगित कर दिया, ताकि अगली सुनवाई की तारीख में संस्थान के निदेशक/रजिस्ट्रार उक्त पहलू को समझाने के लिए रिकॉर्ड के साथ कोर्ट में आ सकें।

दरअसल, शैक्षणिक वर्ष 2020-2021 के लिए विभिन्न विषयों में पीएचडी प्रोग्राम (फुल टाइल और पार्ट टाइम) में प्रवेश के लिए एनआईटी ने याचिकाकर्ताओं सहित सफल उम्मीदवारों को 28 सितंबर, 2020 को अनंतिम प्रवेश पत्र जारी किए गए थे। याचिकाकर्ताओं सहित सफल उम्मीदवारों ने फीस जमा कर दी थी।

प्रतिवादी संस्थान ने सफल चयनित उम्मीदवारों को 3 अक्टूबर, 2020 को एक नोटिस जारी किया कि जॉइनिंग जनवरी-फरवरी, 2021 में होगी। बाद में संस्थान ने 30 दिसंबर, 2020 को COVID-19 महामारी के प्रकोप के मद्देनज़र

फुलटाइम पीएचडी प्रोग्राम शुरू करने में असमर्थता व्यक्त करते हुए एक और नोटिस जारी किया।

21 मई, 2021 को संस्थान ने पीएचडी के लिए चयनित याचिकाकर्ता सहित अन्य उम्मीदवारों को सूचित किया कि COVID- 19 महामारी के प्रकोप और सरकारी दिशानिर्देशों के कारण एनआईटी खोलना संभव नहीं है। संस्थान ने याचिकाकर्ताओं सहित अन्य रिसर्च स्कॉलर को किसी अन्य संस्थान में एडमिशन लेने की सलाह दी। अंत में, 22 जून, 2021 को प्रवेश रद्द कर दिए गए।

याचिकाकर्ताओं की शिकायत यह है कि एनआईटी ने शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए पीएचडी प्रोग्राम (फुलटाइम और पार्टटाइम) के लिए नए आवेदन आमंत्रित किए हैं और आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि तीन जनवरी 2022 है। प्रवेश को रद्द करने और नए आवेदन आमंत्रित करने के निर्णय के खिलाफ याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में का रुख किया है।

उनका मामला है कि ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट के लिए अर्हता प्राप्त करने की आवश्यकता घोषणा की तारीख से एक निर्दिष्ट अवधि के लिए मान्य है और इसलिए, एक नया विज्ञापन जारी करके, याचिकाकर्ताओं को पूर्वाग्रहित किया गया है।

याचिकाकर्ताओं द्वारा यह तर्क भी दिया गया है कि उन उम्मीदवारों को कुछ सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए जिन्होंने आवेदन करने के बाद पहले ही प्रवेश ले लिया था और विधिवत चयनित हो गए थे।

केस टाइटल- निपुण शर्मा और अन्य बनाम बीआर अंबेडकर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान जालंधर और अन्य

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