कलकत्ता हाईकोर्ट ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत की जांच की मांग वाली याचिका खारिज की
कलकत्ता हाईकोर्ट ने भारतीय जनसंघ (बीजेएस) के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 'रहस्यमय' मौत की जांच की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की वर्ष 1953 में कश्मीर में निधन हो गया था।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज की,
"डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु के 70 साल बाद दायर एक याचिका पर जांच या आयोग की नियुक्ति के लिए विचार नहीं किया जा सकता है क्योंकि न तो इसका रिकॉर्ड है और न ही कोई व्यक्ति उपलब्ध हो सकता है जो उस पर कोई प्रकाश डाल सके।"
अधिवक्ता स्मृतिजीत रॉय चौधरी और अधिवक्ता अजीत कुमार मिश्रा द्वारा दायर याचिका में मुखर्जी की मृत्यु से संबंधित सभी दस्तावेजों को सार्वजनिक करने और एक पखवाड़े के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने की भी मांग की गई थी।
याचिका में कहा गया था कि "भारत के नागरिकों को यह जानकारी नहीं है कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की हिरासत में मौत कैसे हुई। इसलिए भारत के सभी नागरिकों को डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की रहस्यमय मौत के बारे में उचित जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है।"
याचिका में महत्वपूर्ण रूप से केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकारों से एक स्पष्ट बयान भी मांगा गया था कि क्या डॉ मुखर्जी की मौत "नेहरू षड्यंत्र" (भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू का जिक्र) का परिणाम था।
याचिका में कहा गया था,
"डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की हिरासत में मौत ने देश भर में व्यापक संदेह पैदा कर दिया और उनकी मां ने भी एक स्वतंत्र जांच की मांग की थी, लेकिन नेहरू ने पत्र को नजरअंदाज कर दिया और कोई जांच आयोग स्थापित नहीं किया गया था। इसलिए डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत विवाद का विषय बनी हुई है।"
याचिका इस पृष्ठभूमि में निम्नलिखित बुनियादी प्रश्न भी उठाती है:
1. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को कश्मीर में प्रवेश करने से पहले गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का जम्मू-कश्मीर पर कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है?
2. जम्मू-कश्मीर के दौरे के दौरान नेहरू उनसे कभी क्यों नहीं मिले?
3. जब डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी हिरासत में थे तो एसके अब्दुल्ला की सरकार द्वारा कोई मुकदमा क्यों नहीं चलाया गया और 11 मई, 1953 को कटुआ में उनकी गिरफ्तारी के बाद उन्हें कभी अदालत में पेश क्यों नहीं किया गया?