कलकत्ता हाईकोर्ट ने नंदीग्राम चुनाव परिणाम के खिलाफ सीएम ममता बनर्जी की याचिका पर सुवेंदु अधिकारी से 29 नवंबर तक जवाब मांगा
कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दायर चुनावी याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी। उक्त याचिका में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक सुवेंदु अधिकारी की 2021 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में नंदीग्राम निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी जीत को चुनौती दी गई है। स्थगन की मांग इस आधार पर की गई कि सुवेंदु अधिकारी द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक स्थानांतरण याचिका दायर की गई है और वर्तमान में लंबित है।
न्यायमूर्ति शंपा सरकार ने हालांकि अधिकारी को 29 नवंबर तक चुनाव याचिका की सुनवाई के इस तरह के हस्तांतरण की मांग करने के कारणों को बताते हुए एक लिखित अनुरोध प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री की ओर से पेश महाधिवक्ता एसएन मुखर्जी ने हालांकि चुनाव याचिका पर सुनवाई में हो रही देरी पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव याचिकाओं के संबंध में कलकत्ता हाईकोर्ट के नियमों के अनुसार, पक्षकारों को तत्काल चुनाव याचिका को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने की याचिका की परवाह किए बिना अपनी लिखित प्रस्तुतियां प्रस्तुत करनी चाहिए।
सुनवाई की पिछली तारीख को महाधिवक्ता ने भी इसी तरह की भावना व्यक्त की थी।
उन्होंने मांगे गए स्थगन की याचिका पर आपत्ति जताते हुए टिप्पणी की,
"चुनाव याचिकाओं पर शीघ्र निर्णय किया जाना चाहिए। केवल इसलिए कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की गई है, मामले को स्थगित नहीं किया जा सकता।"
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि सुवेंदु अधिकारी द्वारा स्थानांतरण याचिका दायर की गई है। यग इस आशंका पर दायर की गई है कि उन्हें पश्चिम बंगाल में निष्पक्ष सुनवाई के लिए गुप्त नहीं रखा जाएगा। हालांकि उन्होंने कहा कि वर्तमान कार्यवाही अभी तक ट्रायल के चरण में नहीं है।
न्यायमूर्ति कौशिक चंदा के अलग होने के बाद वर्तमान मामला न्यायमूर्ति शंपा सरकार को सौंपा गया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने न्यायमूर्ति चंदा के वकील रहते हुए भाजपा से जुड़े होने के कारण पक्षपात की आशंका पर याचिका पर सुनवाई करने पर आपत्ति जताई थी।
तदनुसार, न्यायमूर्ति चंदा ने यह कहते हुए मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था कि "अगर वह इनकार नहीं करते हैं तो परेशान करने वाले विवाद को जीवित रखेंगे।"
न्यायमूर्ति चंदा ने जिस तरीके से उनका बहिष्कार करने की मांग की है, उस पर आपत्ति जताते हुए सीएम बनर्जी पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
केस शीर्षक: ममता बनर्जी बनाम सुवेंदु अधिकारी