'कोर्ट की अंतरात्मा को झटका': कलकत्ता हाईकोर्ट ने पानी की आपूर्ति के लिए अपर्याप्त बुनियादी ढांचे के लिए स्थानीय नगर पालिका को फटकार लगाई
कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को चकदाहा नगर पालिका, पश्चिम बंगाल की इस दलील पर गंभीर आपत्ति जताई की कि नगरपालिका के पास नगरपालिका के मुख्य जल कनेक्शन से 60 फीट से अधिक के निजी घरों में घरेलू उपयोग के लिए पानी की आपूर्ति के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा नहीं है।
न्यायमूर्ति शंपा सरकार ने कहा,
"नगरपालिका के अधिवक्ता के इस तरह के निवेदन ने न्यायालय की अंतरात्मा को इस हद तक झकझोर दिया कि न्यायालय को लगता है कि ऐसी स्थिति में राज्य सरकार का हस्तक्षेप आवश्यक होगा, क्योंकि पानी का अधिकार जीवन के अधिकार के लिए एक अनिवार्य शर्त है।"
अदालत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें आरोप लगाया गया कि चकदाहा नगर पालिका को आवश्यक शुल्क के भुगतान पर पानी के कनेक्शन के लिए आवेदन करने के बावजूद पानी कनेक्शन नहीं लगाया गया।
कोर्ट ने इसे 'चौंकाने वाली स्थिति' करार देते हुए कहा,
"एक विकासशील अर्थव्यवस्था या एक विकासशील देश के इस स्तर पर नगरपालिका के तहत इलाके में लोगों को पानी की आपूर्ति नहीं किए जाने की उम्मीद नहीं है। अदालत उम्मीद करती है कि अधिकारी इस स्थिति को देखेंगे और मामले को और गंभीरता से लेंगे।"
तदनुसार, राज्य की ओर से पेश अधिवक्ता देबाशीष घोष को निर्देश दिया गया कि वह विवाद को सुलझाने के लिए नगरपालिका मामलों के विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार के साथ परामर्श करें और बाद में सुनवाई की अगली तारीख से पहले एक रिपोर्ट दाखिल करें।
मामले की अगली सुनवाई 10 जनवरी, 2022 को होगी।
कोर्ट ने आगे निर्देश दिया,
"नगर पालिका इस मुद्दे का समाधान खोजने की संभावनाओं का भी पता लगाएगी।"
केस का शीर्षक: अरुण कुमार रॉय और अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य
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