बॉम्बे हाईकोर्ट ने जावेद अख्तर की मानहानि मामले की कार्यवाही को रद्द करने की मांग करने वाली कंगना रनौत की याचिका खारिज की
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को गीतकार जावेद अख्तर की शिकायत पर अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ शुरू की गई मानहानि की कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने रनौत की याचिका पर एक सितंबर को आदेश सुरक्षित रख लिया था।
अख्तर ने 19 जुलाई, 2020 को रिपब्लिक टीवी के एंकर अर्नब गोस्वामी के साथ अपने साक्षात्कार में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत में उनका नाम खींचने पर कंगना रनौत पर उनकी "बेदाग प्रतिष्ठा" को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है।
रनौत ने सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अपनी याचिका में मजिस्ट्रेट के उस आदेश को रद्द करने की मांग की जिसमें पुलिस को अख्तर की शिकायत और उसके बाद के सभी आदेशों की जांच करने का निर्देश दिया गया था।
इसमें धारा 204 के तहत कंगना के खिलाफ आदेश जारी करने की प्रक्रिया और पेश होने के लिए जारी समन शामिल है।
रनौत के वकील रिजवान सिद्दीकी ने तर्क दिया कि मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने बिना कारण बताए सीआरपीसी की धारा 202 (1) के तहत उनके खिलाफ यांत्रिक रूप से जांच का आदेश दिया था और शपथ पर अख्तर द्वारा उद्धृत गवाहों की भी जांच नहीं की।
सिद्दीकी ने रनौत की ओर से तर्क दिया,
"पुलिस ने निष्पक्ष जांच नहीं की। मेरे पास आपराधिक धमकी का मामला है।"
एडवोकेट जय भारद्वाज ने राहत का विरोध करते हुए कहा कि मजिस्ट्रेट ने अख्तर की शिकायत के बाद जांच का निर्देश देने के लिए अपना विवेक लगाया था।
उन्होंने तर्क दिया कि अदालत को मुकदमे से पहले अन्य गवाहों की जांच करने की आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने आगे दावा किया कि रनौत अपना पक्ष रखने के लिए पुलिस के सामने पेश होने में विफल रही। इसलिए अब वह पुलिस पर पक्षपातपूर्ण जांच का आरोप नहीं लगा सकती।
भारद्वाज ने कहा कि मुकदमे में देरी करने के एकमात्र इरादे से याचिका दायर की गई है।
27 जुलाई को मजिस्ट्रेट ने मानहानि मामले में रनौत को 'आखिरी मौका' के रूप में पेश होने से छूट दी थी।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट आरआर खान ने रनौत के वकील को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया खा कि वह अगली तारीख पर उपस्थित हों। ऐसा नहीं करने पर अख्तर उनके खिलाफ वारंट जारी करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
इस मामले पर अब 14 सितंबर को मजिस्ट्रेट के समक्ष मामले की सुनवाई होने की संभावना है।
अब तक का मामला
अख्तर ने नवंबर 2020 में अंधेरी में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए शिकायत दर्ज कराई।
अख्तर ने अपनी शिकायत में कहा कि वह एक सेल्फ मेड मैन है, जो 4 अक्टूबर 1964 को 27 रुपये, दो जोड़ी कपड़े और कुछ किताबें लेकर मुंबई पहुंचा था। तब वह 19 वर्ष के थे।
फरवरी में अंधेरी में एक मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने अख्तर का बयान दर्ज किया और सीआरपीसी की धारा 202 के तहत पुलिस जांच का आदेश दिया।
पुलिस की एक रिपोर्ट के बाद अदालत ने प्रक्रिया जारी की और रनौत को सीआरपीसी की धारा 204 के तहत तलब किया। इससे रनौत के खिलाफ आपराधिक मुकदमे की शुरुआत हुई।
सत्र अदालत के समक्ष कंगना ने अंधेरी मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट के एक फरवरी के आदेश को चुनौती दी थी।
हालांकि, उनकी याचिका अप्रैल 2021 में खारिज कर दी गई थी।
केस शीर्षक: कंगना रनौत बनाम महाराष्ट्र राज्य