बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठी फिल्म में निर्देशक महेश मांजरेकर और निर्माताओं के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को फिल्म के ट्रेलर में बच्चों के आपत्तिजनक चित्रण के संबंध में POCSO अधिनिमय के तहत दर्ज की गई एफआईआर में निर्देशक महेश मांजरेकर और मराठी फिल्म 'नय वारन भट लोंचा कोन ने कोंचा' के निर्माताओं के खिलाफ तीन सप्ताह तक कोई कठोर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया।
जस्टिस पीबी वराले की अगुवाई वाली खंडपीठ ने मांजरेकर, नरेंद्र हीरावत और श्रेयांस हीरावत की याचिका पर सुनवाई की। इसमें एक एनजीओ की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने वाले पोक्सो कोर्ट के आदेश को रद्द करने की मांग की गई।
मांजरेकर के वरिष्ठ अधिवक्ता शिरीष गुप्ते ने तर्क दिया कि 'आपत्तिजनक' दृश्य फिल्म का हिस्सा नहीं है और ट्रेलर को उस दृश्य से पहले ही खत्म कर दिया गया। इसके अलावा, फिल्म सेंसर बोर्ड के प्रमाणन के बाद रिलीज हुई है। उन्होंने कहा कि पॉक्सो अदालत का आदेश बिना सोचे-समझे लागू किया गया। उन्होंने दावा किया कि फिल्म में अब ऐसा कोई दृश्य नहीं जो कहीं से ही भी पोक्सो अधिनियम को आकर्षित कर सके।
निर्माताओं के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता आबाद पोंडा ने प्रस्तुत किया कि उनके मुवक्किलों को सीआरपीसी की धारा 160 के तहत नोटिस जारी किया गया। इसलिए उनकी गिरफ्तारी की आशंका है। पोंडा ने कहा कि आरोपियों को सीआरपीसी की धारा 41 ए के तहत नोटिस नहीं दिया गया, क्योंकि उनके खिलाफ अपराध का आरोप सात साल से कम सजा का है।
पीठ ने तब कहा,
"अंतरिम राहत के लिए मामला बनाया गया।"
अदालत ने राज्य और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया और मामले को तीन सप्ताह के बाद पोस्ट कर दिया।
पीठ ने कहा,
"प्रतिवादी नंबर एक (राज्य) को दोनों मामलों में अगली तारीख तक कोई भी कठोर कदम नहीं उठाने का निर्देश दिया जाता है।"