स्कूलों और शिक्षण संस्थानों को 2020-21 सत्र के लिए बढ़ी हुई फ़ीस नहीं वसूलने के राज्य के जीआर पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगाई
अभिभावकों के लिए यह अच्छी खबर नहीं है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उस जीआर पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिसके तहत स्कूलों और शिक्षण संस्थानों को 2020-21 सत्र के लिए बढ़ी हुई फ़ीस नहीं वसूलने का आदेश जारी किया गया था। अदालत अब उचित समय पर इस बारे में फ़ैसला करेगी लेकिन तब तक जीआर पर प्रतिबंध लगा रहेगा।
न्यायमूर्ति उज्जल भुयन और न्यायमूर्ति आरआई चागला की पीठ ने कसेगाओं एजुकेशन सोसायटी, एसोसिएशन ऑफ़ इंडियन स्कूल्स, ग्लोबल एजुकेशन फ़ाउंडेशन और ज्ञानेश्वर मौली संस्था की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फ़ैसला दिया। याचिकाओं में महाराष्ट्र शैक्षिक संस्था (फ़ीस विनियमन) अधिनयम, 2011 की धारा 21 के तहत जारी जीआर को ज़्यादतीपूर्ण, ग़ैरक़ानूनी और असंवैधानिक बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग की थी।
राज्य सरकार ने COVID 19 महामारी को ध्यान में रखते हुए यह जीआर जारी किया था। इस जीआर में वर्ष 2020-21 सत्र के लिए बढ़ी हुई फ़ीस नहीं वसूलने और अभिभावकों को हर माह या तीन महीने पर फ़ीस चुकाने का विकल्प देने को कहा था। इस आदेश से पीड़ित शिक्षा संस्थानों ने अदालत का रुख किया था।
याचिकाकर्ताओं की पैरवी वक़ील मिलिंद साठे, प्रवीण समधानी, प्रतीक सकसेरिया और अमोघ सिंह एवं निविट श्रीवास्तव ने किया। इनका कहना था कि जीआर ग़ैरक़ानूनी है और यह संविधान के अनुच्छेद 19(1) के प्रावधानों का उल्लंघन करता है। उनका कहना था कि राज्य सरकार इस तरह का आदेश जारी नहीं कर सकती।
राज्य की पैरवी करते हुए एजीपी बीवी सामंत और एजीपी मनीष पबाले ने कहा कि सरकार के पास इस क़ानून और आपदा प्रबंधन क़ानून के तहत ऐसा करने का अधिकार है। सामंत ने कोर्ट से इस बारे में अपना जवाब पेश करने के लिए समय की मांग की और कहा कि जब तक सरकार अपना जवाब पेश नहीं कर देती है, अदालत कोई आदेश नहीं दे।
हालांकि अदालत ने याचिककर्ताओं को राहत दे दी और इस मामले की छह सप्ताह के बाद सुनवाई की बात कही। अदालत ने कहा कि तब तक इस जीआर पर स्थगन लागू रहेगा और स्कूल एवं शिक्षा संस्थानों की सूचनाओं पर अमल होता रहेगा।
विस्तृत आदेश को शीघ्र ही अपलोड किया जाएगा।