बॉम्बे हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारी पर हमला करने के आरोपी व्यक्ति को अग्रिम ज़मानत की शर्त के रूप में ₹10 हज़ार जमा कराने को कहा
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को सरकारी कर्मचारी पर हमले के आरोपी एक व्यक्ति को अग्रिम ज़मानत की शर्त के रूप में महाराष्ट्र पुलिस कल्याण कोष में ₹10 हज़ार जमा कराने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति सीवी भदंग ने अनवर सय्यद नामक एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। इस व्यक्ति को हिरासत में लिए जाने की आशंका थी क्योंकि महाराष्ट्र की मुम्ब्रा पुलिस थाने ने आईपीसी की धारा 353 और 188 और आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अधीन उसके ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया था।
वक़ील पंकज पांडेय ने आवेदक की ओर से दलील पेश किया और कहा कि उनका मुवक्किल सिर्फ़ यह जानना चाहता था कि दुकानों को कब-कब बंद करना है। फिर, उसका मंतव्य सरकारी अधिकारी पर हमला करना और उसे अपना काम करने से रोकना नहीं था। फिर धारा 353 के तहत दर्ज मामले के अलावा सभी अपराध ज़मानत योग्य हैं।
एपीपी सूरज हुल्के ने कहा कि आवेदक ने जानबूझकर सरकारी कर्मचारी पर हमला किया कि वह सिर्फ़ एक समुदाय विशेष की दुकानों को बंद करा रहे थे। आवेदक दूसरे दुकानदारों को भी भड़का रहा था कि वे इस आदेश को नहीं मानें।
अदालत ने एपीपी की दलील को माना और कहा कि जिस तरह का अपराध हुआ है उसमें हिरासत में लेकर पूछताछ करने और किसी वस्तु की बरामदगी का मामला नहीं है।
पीठ ने कहा,
"…आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की ज़रूरत नहीं है न ही किसी वस्तु की बरामदगी का मामला है क्योंकि यह मामला सरकारी कर्मचारी को अपना काम नहीं करने देने का है और मुझे लगता है कि कुछ शर्तों के साथ इसमें विशेषाधिकार का प्रयोग किया जा सकता है।
इसलिए, अगर आवेदक को गिरफ़्तार किया जाता है तो उसे ₹25,000 के बॉन्ड पर ज़मानत पर छोड़ दिया जाए। इसके अलावा उस पर ज़मानत की एक और शर्त यह होगी कि उसे महाराष्ट्र पुलिस कल्याण कोष में ₹10,000 की राशि जमा करानी होगी।"
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