बॉम्बे कोर्ट ने अभिनेता-निर्माता सचिन जोशी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दी
मुंबई की विशेष अदालत (Bombay High Court) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले (Money Laundering Case) में कथित रूप से शामिल कारोबारी और अभिनेता-निर्माता सचिन जोशी (Sachin Joshi) को जमानत दे दी है।
विशेष न्यायाधीश एम जी देशपांडे ने पाया कि सचिन जोशी शहर स्थित फर्म ओमकार रियल्टर्स एंड डेवलपर्स से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में "प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से" शामिल नहीं था।
सचिन जोशी 37 वर्षीय अभिनेता-निर्माता और व्यवसायी हैं। वे विभिन्न कंपनियों के निदेशक रह चुके हैं। वह फिलहाल मेडिकल आधार पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम जमानत पर बाहर हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दावा किया है कि ओंकार रियल्टर्स एंड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड (ओआरडीपीएल) की एक सहयोगी कंपनी सुराणा डेवलपर्स वडाला, एलएलपी द्वारा एक पुनर्विकास परियोजना के लिए झुग्गी में रहने वालों की संख्या गलत तरीके से अधिक बताकर और एफएसआई (फ्लोर स्पेस इंडेक्स) के माध्यम से 410 करोड़ रुपये का ऋण धोखाधड़ी से हासिल किया गया था।
ईडी ने आरोप लगाया है कि सेवाओं और निवेश की आड़ 410 करोड़ रुपये में से 330 करोड़ रुपये की राशि ओमकार समूह की बिक्री इमारत में और 80 करोड़ रुपये (लगभग) की राशि सचिन जोशी और उनके वाइकिंग समूह की कंपनियों के माध्यम से लॉन्ड्री की गई है।
सचिन जोशी के वकील ने जमानत के लिए प्रार्थना करते हुए तर्क दिया है कि सचिन जोशी चिंता, अस्थमा, एसिड भाटा, स्लिप डिस्क और कंधे के दर्द से पीड़ित हैं। वे वर्षों से डॉ. हर्षद जे. शाह के पास से उपचार कर रहे हैं।
अदालत ने जमानत अर्जी को स्वीकार किया और पाया कि सचिन जोशी के पास भारत में विभिन्न अचल संपत्तियां, प्रतिष्ठान और कंपनियां हैं। यदि उस पर शर्तें लगाई जाती हैं, तो वह भारत से नहीं भागेगा और न ही जमानत पर रहते हुए कोई अपराध करेगा।
अदालत ने निर्देश दिया है कि आवेदक को 30 लाख रुपये के बॉन्ड भरने और इतनी ही राशि के एक या दो जमानतदारों को पेश करने की विभिन्न शर्तों पर जमानत पर रिहा किया जाए।
शर्तें:
- सचिन जोशी अगले आदेश तक भारत नहीं छोड़ेंगे और अपना पासपोर्ट ई.डी के पास जमा करेगा।
- वह इस न्यायालय और जांच एजेंसी को अपने निवास स्थान और अपने संपर्क नंबरों के साथ-साथ अपने साथ रहने वाले अपने परिवार के सदस्यों के संपर्क नंबरों को सूचित करेगा।
- जब भी जांच के लिए बुलाया जाएगा वे ई.डी. के कार्यालय में उपस्थित होंगे और अदालत की हर तारीख, और, शेष जांच, यदि कोई हो, में भी सहयोग करेगा।
- वह ऐसा कोई कार्य नहीं करेगा जिससे न्यायालय के समक्ष कार्यवाही पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े।
- वह व्यक्तिगत रूप से या किसी अन्य माध्यम से गवाहों से मिलने या सबूतों से छेड़छाड़ करने का कोई प्रयास नहीं करेगा।
अंत में, किसी भी शर्त के उल्लंघन की स्थिति में ई.डी. जमानत रद्द करने के लिए आवेदन करने के लिए स्वतंत्र होगा।
केस का शीर्षक: सचिन जोशी बनाम प्रवर्तन निदेशालय का कार्यालय
केस नंबर: PMLA SPL.CASE No.377 OF 2021
दिनांक: 07.03.2022
अपीलकर्ता के लिए वकील: वरिष्ठ अधिवक्ता अबद पोंडा
प्रतिवादी के लिए वकील: विशेष लोक अभियोजक कविता पाटिल
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