"मौलिक अधिकारों का घोर मजाक": बॉम्बे हाईकोर्ट ने ग्रामीणों की दुर्दशा पर कहा; महीने में केवल दो बार, दो घंटे के लिए हो रही पानी की आपूर्ति
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई के बाहर ठाणे में ग्रामीणों की दुर्दशा के बारे में अवगत होने पर कहा, नियमित पानी की आपूर्ति एक मौलिक अधिकार है। ग्रामीणों को महीने में केवल दो बार दो घंटे के लिए पानी उपलब्ध कराया जा रहा है।
जस्टिस एसजे कथावाला और जस्टिस मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने उन अधिकारियों के खिलाफ कड़ी आपत्ति जताई, जो 300-400 से अधिक अवैध पानी के कनेक्शन हटाने में विफल रहे और कहा, यह "उनके (याचिकाकर्ताओं) मौलिक अधिकार का घोर मजाक है।"
कोर्ट ने कहा, "हमें यह रिकॉर्ड करते हुए दर्द हो रहा है कि याचिकाकर्ताओं को आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के बाद भी उन्हें नियमित रूप से पानी की आपूर्ति के लिए प्रतिवादियों के लिए खिलाफ निर्देश मांगने के लिए इस न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की जरूरत पड़ रही है, वर्तमान में उन्हें महीने में केवल दो बार पानी की आपूर्ति की जाती है। वह भी लगभग दो घंटे तक....।"
अदालत ने मामले में पुलिस आयुक्त ठाणे और STEM जल वितरण और इंफ्रा कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक को तलब किया है। उक्त कंपनी जिला परिषद, ठाणे और भिवंडी निजामपुर शहर नगर निगम का एक संयुक्त उद्यम है।
याचिकाकर्ताओं ने एडवोकेट आरडी सूर्यवंशी के माध्यम से आरोप लगाया कि STEM पानी की आपूर्ति अवैध रूप से राजनेताओं, भिवंडी निजामपुर शहर के पार्षदों , भिवंडी और ठाणे के उद्योंगों, निर्माण स्थलों और टैंकर लॉबी को कर रहा है और इससे लाखों रुपए की कमाई कर रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि STEM मेन पाइपलाइन पर लगे अवैध नलों/कनेक्शन और वाल्व को हटाने में दिलचस्पी नहीं ले रहा है। STEM के उपअभियंता ने पीठ को सूचित किया कि वे इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन विभिन्न कारणों से ऐसा नहीं कर सके।
उन्होंने बताया कि 3 अवैध कनेक्शन हटा दिए गए हैं, हालांकि अदालत ने उन्हें एक पत्र दिखाया, जिसमें उन्होंने लिखा था कि 300-400 अवैध पानी कनेक्शन हैं।
इंजीनियर ने कहा कि जब भी अवैध पानी के कनेक्शन को काटने का प्रयास किया जाता है, तो लगभग 150 व्यक्तियों की भीड़ साइट पर इकट्ठा हो जाती है और उन्हें अवैध पानी के कनेक्शन काटने या उनकी अवैध गतिविधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने से रोकती है।
अदालत ने कहा कि इस तरह के बयान को स्वीकार नहीं किया जा सकता और मामले को बुधवार को सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया।
कोर्ट ने कहा, "यह स्पष्टीकरण स्वीकार नहीं किया जा सकता है। अधिकारियों द्वारा स्वीकृत नियमित जल आपूर्ति प्राप्त करना याचिकाकर्ताओं का मौलिक अधिकार है और यदि उन्हें महीने में केवल दो बार दो घंटे के लिए पानी की आपूर्ति प्रदान की जाती है, तो यह उनके मौलिक अधिकार के मजाक के समान है।"
केस शीर्षक: शोभा विकास भोई और अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य
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