बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा मालेगांव ब्लास्ट केस में ट्रायल एडवांस्ड स्टेज में, प्रज्ञा ठाकुर ने डिस्चार्ज की मांग वाली याचिका वापस ली
2008 मालेगांव ब्लास्ट मामले में भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और दो अन्य आरोपियों ने बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष लंबित अपनी याचिकाओं को वापस ले लिया। उन्होंने मामले में बरी किए जाने की मांग की थी।
जस्टिस एएस गडकरी की अगुवाई में खंडपीठ ने उन्हें याचिका वापस लेने की अनुमति दी। जज ने कहा कि ट्रायल एडवांस्ड स्टेज पर पहुंच चुका है।
वापस ली गई याचिकाओं में प्रज्ञा सिंह ठाकुर और समीर कुलकर्णी डिस्चार्ज अपील शामिल हैं, जिसे उन्होंने 2017 में उन्हें डिस्चार्ज करने से इनकार करने के विशेष एनआईए कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर किया था।
आरोपी कर्नल प्रसाद पुरोहित ने अपनी तीन में से दो याचिकाएं वापस ले लीं। एक याचिका में आरोप लगाया गया था कि यूएपीए के तहत मंजूरी दोषपूर्ण थी, वहीं दूसरी याचिका में आरोप लगाया गया था कि सीआरपीसी की धारा 197 (2) के तहत कोई मंजूरी नहीं ली गई थी।
उनकी तीसरी डिस्चार्ज अपील जिसमें सीआरपीसी की धारा 197 (2) के तहत मंजूरी ना होने का हवाला दिया गया था, पर सोमवार और मंगलवार को दलीले दी गईं और आदेशों के लिए आरक्षित किया गया।
अपीलों में दायर पीड़ित के हस्तक्षेप आवेदनों को भी वापस ले लिया गया।
विशेष एनआईए कोर्ट के समक्ष अब तक 289 से अधिक गवाहों की जांच हो चुकी है और उनमें से 25 से अधिक को पक्षद्रोही घोषित किया गया है।
29 सितंबर, 2008 को उत्तरी महाराष्ट्र के एक कस्बे मालेगांव में एक मस्जिद के पास भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाम से पंजीकृत एक सुनहरी एलएमएल फ्रीडम मोटरसाइकिल में बंधे एक विस्फोटक उपकरण के धमाके में छह लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 100 घायल हो गए थे।