बीसीआई ने नए लॉ कॉलेज खोलने पर प्रतिबंध को रद्द करने के पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील वापस लेना का फैसला किया
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने अगस्त 2019 में नए लॉ कॉलेज खोलने पर लगाए गए तीन साल के स्थगन/प्रतिबंध (Moratorium) को रद्द करने के पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपनी अपील वापस लेने का फैसला किया है।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से वास्तव में प्रतिबंध को रद्द कर दिया गया है।
बीसीआई ने एक समिति नियुक्त करने का संकल्प लिया है जो प्रतिबंध के नियमों के प्रारूपण पर विचार करेगी।
बीसीआई उन कॉलेजों/विधि शिक्षा केंद्रों का औचक दौरा करेगा, जो वर्तमान में महामारी खत्म होने तक काम करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं क्योंकि ज्यादातर शैक्षणिक संस्थान बंद हैं।
लॉ कॉलेज खोलने के लिए एनओसी संबंधित राज्य सरकार द्वारा जारी की जाती है जिसके अधिकार क्षेत्र में कॉलेज खोलने का प्रस्ताव है। इसके बाद जिस विश्वविद्यालय के साथ कॉलेज संबद्धता के लिए आवेदन करता है, वह कॉलेज को एक विशेष कानून डिग्री पाठ्यक्रम चलाने के लिए संबद्धता प्रदान करता है। इसके बाद तीसरे चरण में यह मामला बीसीआई के पास इस बात पर विचार करने के लिए आता है कि विश्वविद्यालय की संबद्धता को मंजूरी दी जाए या अस्वीकार की जाए।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने लॉ कॉलेजों की लगातार बढ़ती संख्या को नियंत्रित करके भारत में विधि शिक्षा प्रदान करने के मानकों में सुधार की दृष्टि से अगस्त 2019 में नए लॉ कॉलेज / विधि शिक्षा केंद्र खोलने पर तीन साल की अवधि के लिए प्रतिबंध लगा दी थी।
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) द्वारा दिसंबर 2020 में नए लॉ कॉलेज खोलने पर लगाए गए तीन साल के स्थगन/प्रतिबंध को रद्द कर दिया क्योंकि यह भारतीय संविधान के अल्ट्रा वायर्स/शक्ति से बाहर है।
बीसीआई ने इसके बाद आगे प्रतिबंध पर जोर नहीं देने का फैसला किया है। उसने राज्य सरकारों से एनओसी देने से पहले बहुत सोचकर देने का अनुरोध किया है और उनसे आग्रह किया है कि वे एनओसी देने से पहले निर्दिष्ट स्थान पर जनसंख्या अनुपात और विधि शिक्षा के ऐसे केंद्र की आवश्यकता को ध्यान में रखें।
बीसीआई सभी राज्य सरकारों से 3 महीने की अवधि के भीतर शिक्षकों के सभी रिक्त पदों को भरने का अनुरोध किया है। यह निर्धारित किया गया है कि नए विधि शिक्षकों को उचित प्रशिक्षण प्राप्त करने की आवश्यकता होगी और उसके बाद ही उन्हें विधि शिक्षा के किसी भी केंद्र में पढ़ाने की अनुमति दी जाएगी।
बीसीआई ने एक प्रेस नोट में कहा कि,
"80 प्रतिशत सरकारी संस्थानों में शिक्षकों की 50 प्रतिशत से अधिक सीटें खाली हैं। राज्य सरकारें रिक्तियों को भरने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं। यह गंभीर चिंता का विषय है।" .
बीसीआई ने इसके अलावा विश्वविद्यालयों से अनुरोध किया कि वे संस्थानों का सावधानीपूर्वक निरीक्षण और जांच करें और उसके बाद ही संबद्धता प्रदान करने पर विचार करें।
बीसीआई ने कहा कि,
"बार काउंसिल ऑफ इंडिया विधि शिक्षा के मानक के साथ समझौता नहीं करने जा रहा है और विश्वविद्यालयों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए केवल बेहतर बुनियादी ढांचे के साथ लॉ कॉलेजों को संबद्ध करने की सलाह दी जाती है। लॉ कॉलेजों की मशरूमिंग को किसी भी कीमत पर रोकना होगा।"