वकीलों के लिए ड्रेस कोड के मुद्दे को देखने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने पांच सदस्यीय समिति का गठन किया

Update: 2022-04-12 10:00 GMT

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को सूचित किया कि उसने वकीलों के लिए ड्रेस कोड के मुद्दे पर बार और न्यायपालिका के साथ विचार-विमर्श करने के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है।

बीसीआई ने यह सबमिशन हाईकोर्ट द्वारा उसे जारी एक नोटिस के जवाब में दिया है, जो अदालत के समक्ष दायर याचिका पर वकीलों के लिए निर्धारित काले कोट और पोशाक के मौजूदा ड्रेस कोड पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहा है। इसमें आरोप लगाया गया कि यह भारत की जलवायु परिस्थितियों के खिलाफ है।

उल्लेखनीय है कि जुलाई, 2021 में जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने केंद्र और हाईकोर्ट प्रशासन को 18 अगस्त तक याचिका पर अपना-अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।

पार्टी-इन-पर्सन अशोक पांडे ने याचिका दायर की है। उन्होंने अदालत से देश की जलवायु के अनुसार अधिवक्ताओं की पोशाक को निर्धारित करने वाले नए नियम बनाने का निर्देश देने का भी आग्रह किया है।

अपनी प्रतिक्रिया में बीसीआई ने प्रस्तुत किया कि एक अगस्त, 2021 को बार काउंसिल ऑफ इंडिया की सामान्य परिषद की बैठक में परिषद ने जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दे पर विस्तृत विचार-विमर्श करने के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन करने का संकल्प लिया।

याचिका में किए गए अभिकथनों का उल्लेख करते हुए बीसीआई ने कहा:

"वास्तव में याचिकाकर्ता ने कहा है कि बैंड ईसाई धर्म का प्रतीक है। उनके बयान के अनुसार इसे बंद कर दिया जाना चाहिए। गैर ईसाइयों को इसे पहनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कोट और गाउन पहनने पर भी सवाल उठाया है। ड्रेस फ्रेमिंग के समय नियमों बनाते वक्त और न ही उसके बाद से आज तक इस तरह की व्याख्या की गई है। इस मुद्दे पर निर्णय लेने से पहले बार और न्यायपालिका के वरिष्ठ सदस्यों सहित सभी हितधारकों के साथ इस मुद्दे पर विस्तृत विचार-विमर्श की आवश्यकता है।"

अपील के बारे में

जनहित याचिका में हाईकोर्ट प्रशासन द्वारा तैयार किए गए सर्कुलर को रद्द करने की भी मांग की गई है। इसमें अदालत के समक्ष पेश होने के लिए काली पोशाक पहनना अनिवार्य है।

याचिका में यह भी प्रार्थना की गई कि सभी अदालतों, न्यायाधिकरणों, अधिकारियों या किसी अन्य व्यक्ति के न्यायाधीशों को बार काउंसिल ऑफ इंडिया नियम, 1975 द्वारा अधिवक्ताओं के लिए निर्धारित ड्रेस कोड का पालन करने से प्रतिबंधित किया जाए।

याचिका में आगे कहा गया,

"एडवोकेट्स के लिए निर्धारित ड्रेस कोड जहां उन्हें कोट और गाउन पहनना है और एक बैंड के माध्यम से अपनी गर्दन बांधना है, जलवायु परिस्थितियों के अनुसार नहीं है ... एडवोकेट्स बैंड ईसाई धर्म का धार्मिक प्रतीक है। इसलिए गैर-ईसाइयों को इसे पहनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है… सफेद साड़ी और सलवार-कमीज पहनना हिंदू संस्कृति और परंपरा के अनुसार विधवा महिलाओं का प्रतीक है, इसलिए बीसीबी की ओर से इस संबंध में भी विवेक का प्रयोग नहीं किया गया।

याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 49 (i) (जीजी) के तहत बनाए गए बीसीआई नियम, 1975 के चौथे अध्याय के प्रावधानों को चुनौती दी है। इसमें आरोप लगाया गया कि यह संविधान के अल्ट्रा वायर्स (शक्तियों से परे) हैं, जो आर्टिकल 14, 21 और 25 का उल्लंघन करते हैं।

ड्रेस कोड की आलोचना करते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि बार काउंसिल को सेना, नौसेना, वायु सेना के लिए उपलब्ध कराए गए ड्रेस कोड की तर्ज पर वकीलों के लिए कुछ नए ड्रेस कोड तैयार करने चाहिए।

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