आजम खान मामला: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की जमानत की शर्त पर रोक लगाई, हाईकोर्ट ने जौहर विश्वविद्यालय की जमीन पर कब्जा करने का डीएम को दिया था निर्देश

Update: 2022-05-27 10:48 GMT

समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को जमानत देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से दिए गए निर्देंशों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत आदेश में कहा था कि जिलाधिकारी को मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय परिसर को अपने कब्जे में लेना चाहिए। उल्लेखनीय है कि खान के नेतृत्व में ट्रस्ट विश्वविद्यालय का संचालन कर रहा है।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की अवकाश पीठ का विचार था कि, प्रथम दृष्टया, जमानत देने के लिए लगाई गई शर्तें असंगत हैं और आरोपियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने या यह देखने के लिए सुनवाई किसी भी तरह से बाधित न हो, और शर्तों के बीच कोई संबंध न हो।

हाईकोर्ट ने शत्रु संपत्ति हड़पने और मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए इसका इस्तेमाल करने के एक कथित मामले में आजम खान को जमानत देते हुए आक्षेपित आदेश में रामपुर के जिलाधिकारी को संपत्ति को कब्जे में लेने का निर्देश दिया गया था। कोर्ट ने कहा था कि प्रशासन 30 जून, 2022 तक जौहर विश्वविद्यालय के परिसर में और इसके चारों ओर कांटेदार तार के साथ एक चारदीवारी का निर्माण करें।

सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट के समक्ष खान की ओर से पेश हुए। सिब्बल ने बेंच को बताया कि संबंधित संपत्ति में भवनों को ध्वस्त करने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं।

यह देखते हुए कि उक्त नोटिस हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई जमानत की शर्तों के अनुसार जारी किए गए थे, जिस पर अब रोक लगा दी गई है, बेंच ने कहा कि खान एसडीएम से संपर्क कर सकते हैं और उन्हें सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान आदेश से अवगत करा सकते हैं।

मौजूदा मामले में आजम और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि देश के विभाजन के बाद इमामुद्दीन कुरैशी नामक एक व्यक्ति पाकिस्तान चला गया। उसकी जमीन को दुश्मन संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया था, हालांकि खान ने दूसरों के साथ मिलकर जमीन को हथिया लिया। उसी जमीन पर मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय बनाया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल को विश्वविद्यालय को आवंटित लगभग 400 एकड़ जमीन पर कब्जा करने के जिला मजिस्ट्रेट के आदेश पर भी रोक लगा दी थी।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए जालसाजी मामले में खान को अंतरिम जमानत दी थी और उन्हें सक्षम अदालत के समक्ष नियमित जमानत के लिए एक आवेदन दायर करने का निर्देश दिया था।

कोर्ट ने आगे कहा था कि अंतरिम जमानत तब तक चलेगी, जब तक अदालत नियमित जमानत आवेदन पर फैसला नहीं लेती। अगर अदालत का फैसला नियमित जमानत देने के खिलाफ होगा तो अंतरिम जमानत और दो सप्ताह तक काम करेगी।"

केस टाइटलः मोहम्मद आजम खान बनाम यूपी राज्य| Diary No 16482 of 2022]

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