"अधिकारियों को छात्रों के भविष्य के साथ कोई सहानुभूति नहीं": मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक स्कूल के एकमात्र शिक्षक के ट्रांसफर पर रोक लगाई, राज्य सरकार से जवाब मांगा
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह एक स्कूल के एकमात्र शिक्षक (72 छात्र) के ट्रांसफर पर रोक लगाई, यह कहते हुए कि आदेश बिना दिमाग के और सार्वजनिक नीति के विपरीत पारित किया गया है।
अदालत ने कहा,
"ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारियों द्वारा बिना विचार आक्षेपित आदेश जारी किया गया है, जो यह अनुमान लगाता है कि सरकारी अधिकारियों को छात्रों के भविष्य के साथ कोई सहानुभूति नहीं है और शैक्षिक प्रणाली के लिए कोई चिंता नहीं है। हालांकि यह स्पष्ट रूप से आवश्यक कर्तव्य है कि सरकार जनता के हित में कार्य करे।"
न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की खंडपीठ ने ट्रांसफर पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि जिस स्कूल में याचिकाकर्ता इस समय पर ड्यूटी पर है, वहां शिक्षक की नियुक्ति का कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई है या नहीं।
अदालत याचिकाकर्ता/शिक्षक सरस्वती कुमार भारती के ट्रांसफर की चुनौती पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने दलील दी कि नामांकित छात्रों की संख्या 72 है और वह उस स्कूल में एकमात्र शिक्षक हैं और यदि उनका स्थानांतरण हो जाता है, तो उस स्कूल में कोई शिक्षक नहीं होगा। स्कूल में याचिकाकर्ता के स्थान पर किसी को नहीं लाया गया है।
कोर्ट ने ट्रांसफर को प्रथम दृष्टया अवैध बताते हुए कहा,
"यह आश्चर्य की बात है कि एक तरफ सरकार 72 नामांकित छात्रों वाले स्कूल से अपने एकमात्र कर्मचारी का तबादला कर रही है और दूसरी तरफ न तो किसी को लाया गया है और न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। ऐसे में यह यह पता लगाना कठिन है कि शिक्षक के अभाव में स्कूल कैसे चलेगा और उस स्कूल के छात्रों की देखभाल कौन करेगा।"
तदनुसार, न्यायालय ने ट्रांसफर आदेश को लागू करने की अनुमति देना उचित नहीं समझा, यह देखते हुए कि यदि याचिकाकर्ता के ट्रांसफर को मंजूरी दी जाएगी तो स्कूल शिक्षक रहित हो जाएगा।
अतः विद्यालय की वर्तमान स्थिति की यथार्थता का पता लगाने तथा नामांकित विद्यार्थियों के भविष्य को सुरक्षित रखने की दृष्टि से न्यायालय को वैकल्पिक व्यवस्था से अवगत कराने का निर्देश दिया गया।
मामले को अब आगे की सुनवाई के लिए 20 सितंबर को सूचीबद्ध किया गया है।
संबंधित समाचारों में, सरकारी क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा के स्तर में भारी गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने पिछले महीने देखा कि सरकारी क्षेत्र में प्राथमिक शिक्षक के पद से जुड़े वेतन, भत्ते और अनुलाभ आकर्षक हो।
न्यायमूर्ति शील नागू और न्यायमूर्ति दीपक कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने आगे कहा था कि वास्तव में, एक प्राथमिक शिक्षक को सरकार के तहत सबसे अधिक वेतन पाने वाले कर्मचारियों में से एक होना चाहिए ताकि समाज में उपलब्ध सबसे मेधावी लोगों को आकर्षित किया जा सके और उनमें से सर्वश्रेष्ठ गुणों को अंततः शिक्षक के रूप में नियुक्त किया जा सके।
केस का शीर्षक - सरस्वती कुमार भारती बनाम मध्य प्रदेश राज्य एंड अन्य