कानूनी वारिसों को रिकॉर्ड में लाए बिना मृत व्यक्ति के खिलाफ पारित आदेश शून्यः दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2022-11-20 14:30 GMT

Delhi High Court

दिल्ली हाईकोर्ट ने मृत व्यक्ति के खिलाफ उसके सभी कानूनी प्रतिनिधियों को रिकॉर्ड में लाए बिना पारित कर निर्धारण/आकलन आदेश को शून्य(निरर्थक) करार देते हुए रद्द कर दिया है।

जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि निर्धारिती (assessee) की मौत की सूचना उसके कानूनी वारिसों ने दी थी। आईटीआर में भी यह खुलासा किया गया था कि यह कानूनी प्रतिनिधि द्वारा दायर की गई है। हालांकि, रिकॉर्ड पर तथ्यों की जानकारी की कमी के कारण, कानूनी रूप से आवश्यक के रूप में उसके सभी कानूनी उत्तराधिकारियों को रिकॉर्ड में लाए बिना मृत निर्धारिती के नाम पर जांच की कार्यवाही गलत तरीके से आयोजित की गई थी।

याचिकाकर्ता मृतक निर्धारिती स्वर्गीय वीरेंद्र कुमार भटनागर का पुत्र है, जिनकी मृत्यु 10 मार्च, 2018 को हुई थी।

याचिकाकर्ता ने बताया कि निर्धारिती के निधन पर, उसने आयकर विभाग के रिकॉर्ड में मृतक निर्धारिती के कानूनी प्रतिनिधि के रूप में पंजीकरण की मांग करते हुए एक ई-आवेदन दायर किया था। उक्त आवेदन को स्वीकार कर लिया गया था, और याचिकाकर्ता को पंजीकृत कानूनी प्रतिनिधि के रूप में मृतक निर्धारिती की ओर से आवश्यक फाइलिंग करने के लिए ई-पोर्टल पर मृतक निर्धारिती के खाते का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी।

याचिकाकर्ता ने कानूनी प्रतिनिधि के रूप में अपनी क्षमता में मृत निर्धारिती की आयकर रिटर्न (आईटीआर) एवाई 2018-19 के लिए दाखिल की। आईटीआर में, यह विधिवत सत्यापित किया गया था और घोषित किया गया था कि याचिकाकर्ता द्वारा मृतक निर्धारिती के प्रतिनिधि के रूप में अपनी क्षमता में आईटीआर दायर किया जा रही है।

धारा 143(2) के तहत निर्धारण अधिकारी द्वारा निर्धारण वर्ष की सीमित जांच के लिए वैधानिक नोटिस जारी किया गया था। यह नोटिस मृतक निर्धारिती के नाम पर जारी किया गया था। एओ ने पूर्वाेक्त निर्धारण कार्यवाही को समाप्त किया और मृतक निर्धारिती के नाम पर आकलन आदेश पारित किया, जिसमें उसका पैन था, और कुल आय का आकलन किया।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि नोटिस एक मौलिक अधिकार क्षेत्र की त्रुटि से ग्रस्त है क्योंकि यह एक मृत व्यक्ति के नाम पर जारी किया गया है और एक मृत व्यक्ति के मामले में जांच की कार्यवाही प्रस्तावित की गई थी। नोटिस में न तो कानूनी वारिसों के नाम और न ही कानूनी वारिसों के पैन नंबर का जिक्र है। नोटिस के समय, एओ ने मृत निर्धारिती के सभी कानूनी उत्तराधिकारियों को रिकॉर्ड में लाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

अदालत ने याचिका को स्वीकार कर लिया और सभी परिणामी कार्यवाही और नोटिस के साथ आकलन आदेश को रद्द कर दिया।

केस टाइटल-विक्रम भटनागर बनाम एसीआईटी

साइटेशन- 2022 लाइव लॉ (दिल्ली) 1093

आदेश की तारीख- 09.11.2022

याचिकाकर्ता के लिए वकीलः एडवोकेट रोहित जैन, अनिकेत डी अग्रवाल, मंशा शर्मा

प्रतिवादी के लिए वकीलः वरिष्ठ स्थायी वकील अजीत शर्मा साथ में एडवोकेट ए रंगनाथ

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