हमला और आपराधिक बल: दिल्ली हाईकोर्ट ने समझौते के बाद पड़ोसियों द्वारा दर्ज कराई गई क्रॉस एफआईआर रद्द की

Update: 2022-08-02 06:48 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने दो पक्षकारों द्वारा समझौते पर पहुंचने के बाद उनके बीच लड़ाई में शामिल महिलाओं का शील भंग करने के इरादे से हमला करने और आपराधिक बल का उपयोग करने का आरोप लगाते हुए पड़ोसियों द्वारा दर्ज की गई दो क्रॉस एफआईआर को रद्द कर दिया।

जस्टिस जसमीत सिंह के समक्ष सुनवाई के दौरान पक्षकारों ने वचन पत्र दिया कि दोनों पक्षकार मिलकर फतेहपुर बेरी गांव में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाएंगे।

बेंच ने पक्षकारों को निर्देश दिया कि वे वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करने के साथ साथ कम से कम दस साल की अवधि तक इसे संचालित करें और इसके रखरखाव के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन और मैन पावर उपलब्ध करवाएं।

अदालत ने निर्देश दिया,

"आज से चार सप्ताह की अवधि के भीतर जरूरी काम किया जाएगा।"

इसके साथ ही पक्षकार तस्वीरों के साथ छह मासिक प्रगति रिपोर्ट दाखिल करेंगे।

अदालत ने कहा,

"संबंधित आईओ एमसीडी, दक्षिण क्षेत्र के साथ समन्वय करेगा और याचिकाकर्ता और प्रतिवादियों को उस स्थान के बारे में सूचित करेगा जहां वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित की जाएगी।"

अदालत ने इस प्रकार 30 अगस्त, 2018 को दोनों पक्षकारों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 323, 354, 354बी, 506, 451 और 34 के तहत दायर दो क्रॉस एफआईआर को रद्द कर दिया।

क्रॉस एफआईआर में पक्षकारों ने आरोप लगाया कि उनके बीच लड़ाई हुई। परिणामस्वरूप उन्हें चोटें आईं। इसके बाद घटना में शामिल महिलाओं को परेशान करने के इरादे से हमला और आपराधिक बल प्रयोग किया गया।

यह कहा गया कि दोनों पक्षकारों ने पिछले साल नवंबर में समझौता किया था, जिसमें दोनों एफआईआर रद्द करने की आवश्यकता है, क्योंकि पक्षकारों ने अपने सभी परस्पर विवादों को सुलझा लिया है।

कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षकारों ने अपनी मर्जी, इच्छा और बिना किसी धमकी, बल या जबरदस्ती के समझौता किया। उन्हें भी अपने कार्यों पर खेद है और भविष्य में इसे नहीं दोहराने का वचन देते हैं।

अदालत ने कहा,

"हालांकि, मेरा विचार है कि शामिल पक्षकारों की ओर से कमीशन और चूक के कृत्यों के कारण पुलिस सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है। पुलिस के कीमती समय का उपयोग किया गया, जिसका इस्तेमाल समाज की अन्य जरूरतों के लिए किया जा सकता था। इसलिए पक्षकारों को समाज के लाभ के लिए कुछ अच्छा करना चाहिए।"

मामले की अगली सुनवाई 19 सितंबर को होगी।

केस टाइटल: फौजी और अन्य बनाम राज्य (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार) और अन्य।

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