पेटीएम ने कहा, फ़ीशिंग जारी है, दिल्ली हाईकोर्ट ने टीसीसीसीपीआर विनियमन को लागू नहीं करने के ख़िलाफ़ कार्रवाई के लिए ट्राई को दिया 6 सप्ताह का समय
दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय दूरसंचार विनियमन प्राधिकरण (TRAI) को दूरसंचार वाणिज्यिक संचार उपभोक्ता प्रेफ़्रेन्स विनियमन (टीसीसीसीपीआर), 2018 के पालन के लिए क़दम उठाने के लिए 6 सप्ताह का समय दिया है।
टीसीसीसीपीआर के तहत सभी दूरसंचार ऑपरेटर्स के लिए यह ज़रूरी है कि वे टेलीमार्केटर्स का पंजीकरण करेंगे ताकि अवांछित कॉल (यूसीसी) और एसएमएस के ज़रिए ऑनलाइन धोखाधड़ी और फिशिंग को रोका जा सके।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीएन पटेल और प्रतीक जलान की पीठ ने दूरसंचार नियामक को दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए कार्रवाई का समय देते हुए कहा,
"ट्राई (TRAI) को ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी चाहिए जो विनियमन को नहीं मान रहे हैं। हम यह नहीं कह रहे हैं कि विनियमन को नहीं माननेवालों में से कुछ के ख़िलाफ़ तुरंत कार्रवाई की जाए ताकि दूसरों को भी संदेश दिया जा सके।"
पेटीएम ने फ़ीशिंग के माध्यम से लोगों के खाते से धन उड़ाने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। यह धोखाधड़ी टेलिकॉम ऑपरेटरों के प्लैटफॉर्म से होता है।
पेटीएम के वक़ील दुष्यंत दवे ने कहा कि ट्राई को कहा जाए कि वह यह सुनिश्चित करें कि चार सप्ताहों में सभी टेलिकॉम ऑपरेटर्स सभी हेडर्स का पंजीकरण कर लें।
दवे ने आगे कहा कि ट्राई को चाहिए कि वह ट्राई अधिनियम की धारा 29 के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करे और जो 2018 के विनियमन को नहीं मान रहे हैं उन दूरसंचार कंपनियों के ख़िलाफ़ दंडात्मक कार्रवाई करें।
दवे ने कहा,
"ट्राई ने अपने हलफ़नामे में खुद कहा है कि दूरसंचार कंपनियां 2018 के विनियमनों को नहीं मान रही हैं तो फिर उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? अगर दूरसंचार कंपनियां सहयोग नहीं कर रही हैं तो इसका मतलब यह हुआ कि इसमें उनकी मिलीभगत है और उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जानी चाहिए।"
दवे ने कहा कि ग़ैर पंजीकृत टेलीमार्केटर्स की संख्या बढ़ती ही जा रही है और हर महीने करोड़ों की धोखाधड़ी हो रही है। उन्होंने कहा कि ग़ैर पंजीकृत हेडर्स को तत्काल हटाया जाना चाहिए ताकि ग़रीब उपभोक्ताओं को बचाया जा सके।
दवे के दावों का विरोध करते हुए ट्राई के वक़ील राकेश द्विवेदी ने कहा कि विनियामक ने क़दम उठाए हैं, ताकि टेलीमार्केटर्स का पंजीकरण किया जा सके।
द्विवेदी ने कहा कि ट्राई अवांछित वाणिज्यिक कॉल्ज़ के ज़रिए होने वाली फ़ीशिंग के बारे में चिंतित है और दूसरे तरह की धोखाधड़ी की जांच करने का उसे अधिकार नहीं है।
एयरटेल के वक़ील कपिल सिबल ने कहा कि एयरटेल ने 2018 के विनियमन का 100% पालन किया है। उन्होंने आगे कहा कि ट्राई के अधीन ही इस तरह की शिकायतों को दूर करने की व्यवस्था है। इसलिए अगर याचिकाकर्ता किसी विशेष पार्टी के इसे नहीं मानने से दुखी है तो वह इसके लिए ट्राई की शरण में जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस मसले को आपसी सहमति से सुलझा लिया जाए। उन्होंने कहा कि यह दुनिया के सबसे जटिल तरीक़ों में से एक है और इस तरह के जटिल मसले को ट्राई को ही सुलझाने देना चाहिए।
एयरटेल के अलावा वोडाफ़ोन, आइडिया, जीयो और बीएसएनएल ने भी कहा कि वे इस विनियमन का जून 2020 से पालन कर रहे हैं।
इस मामले की अगली सुनवाई अब 28 अगस्त को होगी।