विकिरण का डर : कलकत्ता हाईकोर्ट ने जियो मोबाइल टॉवर के निर्माण पर रोक लगाई
कलकत्ता हाईकोर्ट ने जियो मोबाइल टॉवर के निर्माण पर यह कहते हुए रोक लगा दी कि स्थानीय प्रशासनिक अथॉरिटीज़ ने टॉवर लगाने के बारे में दिशा-निर्देश के क्लाज 4A का पालन नहीं किया। फिर, अदालत ने पाया कि अथॉरिटीज़ ने आसपास के लोगों को इस पर आपत्ति है कि नहीं इस बारे में उनकी राय नहीं ली गई।
इस मामले में याचिका जहानाबाद गांव के एक व्यक्ति ने दायर की। उसने आरोप लगाया कि रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड ने याचिकाकर्ता के घर के पांच मीटर की दूरी पर मोबाइल टॉवर लगाना शुरू कर दिया। यह स्थान काफ़ी भीड़ भाड़ वाला है। उसने यह आरोप भी लगाया कि इस तरह के टॉवर से विकिरण होता है और यह आसपास के लोगों के स्वास्थ्य को नुक़सान पहुंचाएगा।
न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य ने कहा कि याचिकाकर्ता की आशंका जायज़ है क्योंकि जिस क्षेत्र में ज़्यादा लोग रहते हैं उस क्षेत्र में अंधाधुंध मोबाइल टॉवर का निर्माण पर्यावरण को नुक़सान पहुंचाएगा और आम लोगों को ज्ञात-अज्ञात बीमारियों को झेलना होगा जो टॉवर से होने वाले विकिरण से होगा।
"मोबाइल फोने मानव जीवन की लगभग आवश्यक ज़रूरत हो गई है। यहां तक कि समाज का पिछड़ा तबक़ा भी मोबाइल सेवाओं पर निर्भर होता जा रहा है विशेषकर तब जब सरकार और अन्य क्षेत्र अपनी कई सेवाएं जिसमें ई-भुगतान, सामाजिक लाभ योजना, बैंकिंग आदि शामिल हैं, मोबाइल नेटवर्क के माध्यम से अब दी जा रही है," अदालत ने कहा।
अदालत ने कहा,
"संतुलन बनाने के लिए दूरसंचार विभाग ने एडवाइज़री दिशा-निर्देश जारी किए हैं, क्योंकि इनके अलावा मोबाइल टावर के निर्माण को लेकर कोई क़ानून नहीं है। इन दिशा-निर्देशों को मानदंड के रूप में प्रयोग किया जा रहा है।"
"एडवाइज़री दिशा-निर्देश के सब-क्लाज़ VIII से यह स्पष्ट है कि न केवल स्थानीय निकाय से नियमतः मोबाइल टॉवर के ठेके के नवीनीकरण के लिए शुरू में अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना होता है बल्कि सरकारों से भी एनओसी लेना होती है।"
पीठ ने कहा कि राज्य सरकार ने कई सारे उन आदेशों का पालन नहीं किया है जो अदालत ने लोक शिकायत कमिटी बनाकर पास किए हैं।
अदालत ने कुछ दिशा-निर्देश जारी किए जो इस तरह से हैं -
"(i) दूरसंचार विभाग द्वारा ने मोबाइल टॉवर लगाने के बारे में जो दिशा-निर्देश जारी किए थे। उसका प्रतिवादियों ने इसको जारी किए जाने के 15 दिनों के भीतर पालन किया कि नहीं।
(ii) अगर दिशा-निर्देश का उल्लंघन हुआ है तो मोबाइल टॉवर का निर्माण कार्य तब तक के लिए रोक दिया जाएगा जब तक कि दिशा-निर्देश के क्लाउज 4A की शर्तें पूरी नहीं की जाती।
(iii) अगर निर्देशों का पालन नहीं हुआ है तो उस तिथि, जिसका ऊपर वर्णन किया गया है, से निर्माण का कार्य 15 दिनों के लिए बंद रहेंगे और इन शर्तों को पूरा करने के बाद ही कार्य शुरू होगा।
(iv) प्रतिवादी नंबर 5 जहां मोबाइल टॉवर लगना है उसके आसपास के लोगों से उनकी आपत्ति दर्ज करेंगे। लोगों को अपनी आपत्ति दर्ज करने के लिए इसका प्रकाशन करेगा और एक निर्धारित तिथि तक आपत्ति स्वीकार की जाएगी और इसके एक सप्ताह के भीतर इसका आकलन करने के बाद इस बारे में एक रिपोर्ट प्रतिवादी नम्बर 4 को देगा जो इसे प्रतिवादी नम्बर 1 को भेजेगा।
अगर उसे इसमें जो बातें मिलती हैं उससे नियमों के उल्लंघन की बात की पुष्टि होती है तो वह इन आपत्तियों को भारतीय दूर संचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को कार्रवाई के लिए भेजेगा।
(v) अगर अन्य औपचारिकताओं का पालन हुआ है तो यह प्रतिवादी नम्बर 10 पर निर्भर करता है कि वह संबंधित मोबाइल टॉवर के निर्माण की अनुमति देता है कि नहीं।
(vi) टॉवर की संरचना का निर्माण होने के बाद उसके एंटिना को लगाने के समय अतिरिक्त दिशा-निर्देश (सीएएन का पृष्ठ-41, 2019 का 10762) लागू होगा और यह याचिकाकर्ता पर निर्भर करेगा कि दूरी संबंधी दिशानिर्देश का पालन नहीं हुआ है तो वह इस आपत्ति को 17 अन्य अथॉरिटीज़ के पास ले जाना चाहता है कि नहीं।
(vii) यह स्पष्ट किया गया कि सुरक्षित दूरी के बारे में जिस तिथि से इस पर ग़ौर किया जाएगा वह मोबाइल टॉवर पर इस तरह के पहले एंटिना के लगाए जाने के दिन से माना जाएगा।
अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि उपरोक्त दिशानिर्देश का पालन आवश्यक है।
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