सीआरपीसी की धारा 391 के तहत अतिरिक्त साक्ष्य प्रस्तुत करने की अर्जी पर तुरंत विचार किया जाना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

Update: 2020-02-06 04:30 GMT

सीआरपीसी की धारा 391 अतिरिक्त सबूत प्रस्तुत करने की अर्जी पर हाईकोर्ट द्वारा विचार किये जाने से प्रतिबंधित नहीं करती है।"

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अतिरिक्त साक्ष्य प्रस्तुत करने की मांग को लेकर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 391 के तहत दाखिल अर्जी पर तुरंत विचार किया जाना चाहिए। ऐसी अर्जी पर विचार के लिए अंतिम तौर पर सुने जाने वाली अपील का इंतजार नहीं किया जाना चाहिए।

इस मामले में हाईकोर्ट ने हत्या के एक आरोपी की अपील के तहत सीआरपीसी की धारा 391 के अंतर्गत दाखिल अर्जी का यह कहते हुए निबटारा कर दिया था कि अपीलकर्ता को अपीलों की अंतिम तौर पर सुनवाई के वक्त उपयुक्त अर्जी दाखिल करने की अनुमति दी जाती है।

हाईकोर्ट ने 'भारत सरकार बनाम इब्राहिम उद्दीन 2012 (8) एससीसी 148' के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया था कि अतिरिक्त सबूत को रिकॉर्ड पर लेने की अर्जी पर अपील की अंतिम सुनवाई के वक्त विचार किया जाना चाहिए। संबंधित फैसला अतिरिक्त साक्ष्य प्रस्तुत करने को लेकर नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के आदेश XLI नियम 27 के तहत दर्ज होने वाली अर्जी से जुड़ा है।  

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव एवं न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में सीआरपीसी की धारा 391 के तहत अर्जी दाखिल की गयी थी, जो अपीलीय कोर्ट को खुद सबूत लेने या मजिस्ट्रेट के जरिये अथवा सत्र अदालत द्वारा सबूत लेने के लिए अधिकृत करता है, यदि कारणों को रिकॉर्ड में लेने के बाद वह इस बात से संतुष्ट है कि अतिरिक्त सबूत जरूरी है।

कोर्ट ने कहा :

"सीआरपीसी की धारा 391 अतिरिक्त सबूत प्रस्तुत करने की अर्जी पर हाईकोर्ट द्वारा विचार किये जाने से प्रतिबंधित नहीं करती है। दरअसल, हमारा मानना है कि अतिरिक्त साक्ष्य प्रस्तुत करने की मांग को लेकर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 391 के तहत दाखिल अर्जी पर तुरंत विचार किया जाना वांछनीय है। ऐसी अर्जी पर विचार के लिए अंतिम तौर पर सुने जाने वाली अपील का इंतजार नहीं किया जाना चाहिए।"

बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए उसे सीआरपीसी की धारा 391 के तहत इस अर्जी पर त्वरित सुनवाई करने का आदेश दिया।

केस का नाम : असीम उर्फ मुनमुन उर्फ आसिफ अब्दुलकरीम सोलंकी बनाम गुजरात सरकार

केस नं.: - क्रिमिनल अपील नं. 184/2020

कोरम : न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता

अपीलकर्ता का वकील : वरिष्ट अधिवक्ता विभा दत्ता मखीजा

प्रतिवादी का वकील : अधिवक्ता आस्था मेहता


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