अनीस खान डेथ केस: कलकत्ता हाईकोर्ट ने जांच सीबीआई को ट्रांसफर करने से इनकार किया, राज्य गठित एसआईटी को चार्जशीट दाखिल करने को कहा
कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को स्टूडेंट एक्टिविस्ट अनीस खान की मौत की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया।
अनीस खान शनिवार, 19 फरवरी, 2022 की तड़के हावड़ा जिले के अमता ब्लॉक में अपने घर पर रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाया गया था।
अदालत ने पहले इस घटना को 'गंभीर और चौंकाने वाला' करार देते हुए मामले का स्वत: संज्ञान लिया था। कोर्ट ने सीबीआई जांच के लिए दायर प्रार्थना को ठुकरा दिया था और राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एसआईटी को हावड़ा जिला न्यायाधीश की देखरेख में जांच जारी रखने की अनुमति दी थी। कोर्ट ने हावड़ा जिला जज की देखरेख में एसआईटी द्वारा दूसरा पोस्टमार्टम कराने का भी आदेश दिया था।
जस्टिस राजशेखर मंथा ने मंगलवार को मौखिक रूप से कहा कि उन्होंने सभी प्रासंगिक रिकॉर्ड देखे हैं और उनका 'स्पष्ट विचार' है कि जांच को सीबीआई को स्थानांतरित करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
कोर्ट ने आगे कहा कि पश्चिम बंगाल पुलिस का विशेष जांच दल (एसआईटी) इस मामले में चार्जशीट दाखिल करेगा और जरूरत पड़ने पर आगे की जांच करेगा। यह आगे रेखांकित किया गया कि इस कार्यवाही के दौरान की गई टिप्पणियों से ट्रायल पूरी तरह से अप्रभावित होना चाहिए।
जस्टिस मंथा ने यह भी रेखांकित किया कि राज्य द्वारा गठित एसआईटी पर किए गए सभी अवलोकन केवल यह निर्धारित करने के सीमित उद्देश्य के लिए है कि क्या जांच सीबीआई को हस्तांतरित की जानी चाहिए।
मृतक के पिता की ओर से पेश सीनियर वकील बिकाश रंजन भट्टाचार्य ने पहले पश्चिम बंगाल पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट पर इस आधार पर आपत्ति जताई थी कि यह इस बात का खुलासा नहीं करता है कि हावड़ा जिले के अमता में अनीस खान के घर पर छापे कैसे और किसकी अनुमति पर हुए।
सीनियर वकील ने एसआईटी के निष्कर्षों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह सुझाव देना 'हास्यास्पद' है कि अनीस खान की मौत गैर-हत्यारा थी जैसा कि रिपोर्ट में कहा गया है।
दूसरी ओर, राज्य सरकार की ओर से पेश एडवोकेट जनरल एसएन मुखर्जी ने अदालत को अवगत कराया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि खान की मौत आकस्मिक है और उनके पिता ने आरोप लगाया है। उन्होंने आगे कहा कि हत्या का कोई मकसद नहीं था, क्योंकि आरोपी व्यक्ति होमगार्ड और नागरिक स्वयंसेवक अनीस खान को नहीं जानता था। वह 19 फरवरी को हावड़ा जिले के अमता में अपने घर की दूसरी मंजिल की खुली खिड़की से गिर गया था।
कथित तौर पर खान की तलाश में दूसरी मंजिल पर जाने वाले दोनों आरोपियों को राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल ने गिरफ्तार किया और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 ए (लापरवाही से मौत) के तहत आरोप लगाया।
एसआईटी ने पहले अदालत को 82 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी थी, जैसा कि उसके द्वारा पहले निर्देशित किया गया था, जिसमें खान की अप्राकृतिक मौत की जांच में उठाए गए कदमों का संकेत दिया गया था।
पृष्ठभूमि
स्टूडेंट एक्टिविस्ट अनीस खान 19 फरवरी, 2022 की तड़के हावड़ा जिले के अमता ब्लॉक में अपने घर पर मृत पाया गया था। खान की हत्या ने कोलकाता की आलिया यूनिवर्सिटी में बड़े पैमाने पर छात्रों के विरोध को भी जन्म दिया, जहां वह एमबीए की पढ़ाई कर रहा था। खान ने राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ आलिया यूनिवर्सिटी के छात्रों द्वारा 137 दिनों तक चले विरोध प्रदर्शन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
खान के पिता ने आरोप लगाया कि चार लोग पुलिस और नागरिक स्वयंसेवक की वर्दी पहनकर उनके घर आए। उन्होंने दावा किया कि उनके बेटे को अमता में उनके घर की तीसरी मंजिल से धक्का दिया गया। खान का परिवार मौत की सीबीआई जांच की मांग कर रहा है।
इस प्रकार, सलेम खान ने निष्पक्ष एजेंसी द्वारा मौत की जांच के आदेश की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया, जो पश्चिम बंगाल पुलिस से जुड़ी न हो।
पश्चिम बंगाल पुलिस ने आलिया यूनिवर्सिटी में छात्र की मौत की जांच के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया। टीम का नेतृत्व सीआईडी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ज्ञानवंत सिंह कर रहे हैं।
केस टाइटल: सलेम खान बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य