एएमयू हिंसा : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एनएचआरसी को जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को सीएए के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों के ख़िलाफ़ पुलिसिया कार्रवाई पर सुनवाई को एक सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर और सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के वक़ील को अपना जवाब पूरा करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है।
"याचिकाकर्ता के वक़ील का कहना है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग अनावश्यक जांच कर रहा है …राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के वक़ील को अपना निर्देश पूरा करने के लिए समय दिया गया है। वे सुनवाई की अगली तिथि तक निर्देश ले सकते हैं," आदेश में कहा गया।
पिछले महीने हाईकोर्ट ने एनएचआरसी को निर्देश दिया था कि वह पुलिस के ख़िलाफ़ लगाए गए आरोपों की जाँच करे और पाँच सप्ताह के भीतर इस जाँच को पूरा करे। इस मामले के बारे में पीआईएल मोहम्मद अमान खान ने दायर की है।
उन्होंने आरोप लगाया कि छात्र 13 दिसंबर 2019 से नागरिकता संशोधन विधेयक के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। हालाँकि, 15 दिसंबर 2019 को अर्ध सैनिक बल और राज्य पुलिस ने बिना किसी उचित कारण के एएमयू के छात्रों पर लाठियाँ बरसायीं, रबर बुलेट और पैलेट फ़ायरिंग के अलावा भारी मात्रा में आँसू गैस के गोले छोड़े।
हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर याचिका उस समय दायर की गई जब सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर 2019 को विश्वविद्यालय छात्रों के ख़िलाफ़ पुलिस ज़्यादतियों के ख़िलाफ़ जाँच करने के आवेदन पर ग़ौर करने से इंकार कर दिया था। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने याचिकाकर्ता से कहा था कि वह इस मामले में हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएंं।