लॉकडाउन के बीच कोर्ट की ई-कनेक्टिविटी नागरिकों की न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करती है, इसमें किसी तरह का व्यवधान न आए यह मौलिक अधिकार है : जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट

Update: 2020-06-06 12:15 GMT

बुधवार को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा कि अदालतों को ई-कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना नागरिकों की न्याय तक पहुँच को सुनिश्चित करने का मुद्दा है।

इसे मौलिक अधिकार बताते हुए मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इसमें किसी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं की जा सकती।

मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और जस्टिस रजनेश ओसवाल की पीठ ने कहा,

"COVID-19 को देखते हुए जो प्रतिबंध लगे हैं उस स्थिति में अगर ई-कनेक्टिविटी नहीं हो तो कोई अदालत अपना ज़रूरी काम नहीं कर सकती।"

अदालत केंद्र शासित प्रदेश में लॉकडाउन की स्थिति का जायज़ा ले रही थी और गुरेज़, तंगधर, मचैल और उरी जैसे दूर दराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य के आवश्यक प्रावधानों की उपलब्धता की स्थिति क्या है, स्वास्थ्यकर्मियों, उनके परिवारवालों, COVID-19 के प्रबंधन में लगे सरकारी अधिकारियों को संक्रमण से बचाव के लिए ज़रूरी वस्तुओं की आपूर्ति की स्थिति कैसी है।

 यह मामला इसलिए उठा क्योंकि उधमपुर ज़िला के प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में गत माह कन्वर्टर और राउटर में आग लग गई।

बीएसएनएल ने उपकरण के जलने के पीछे यह दलील दी कि कोर्ट के अधिकारियों ने एसी मेन सप्लाई सीधे यूपीएस के माध्यम से इन उपकरणों को जोड़ दिया जिसकी वजह से ये जल गए।

अदालत ने कहा,

"…ऐसा लगता है कि ग़लती अकारण ही अदालत के अधिकारियों पर थोपी गई है और ऐसा बिना सोचे-समझे किया गया है, और कहा कि अदालत के रजिस्ट्रार ने जो जाँच कि है उससे वह सहमत है।"

अदालत ने बीएसएनएल को निर्देश दिया कि वह संबंधित कोर्ट में कन्वर्टर और राउटर तत्काल लगाए और इस बारे में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर अदालत में पेश की जाए।

अदालत ने यूटी में बीएसएनएल जो ई-कनेक्टिविटी दे रहा है उसकी स्थिति पर एक ताज़ा रिपोर्ट पेश किए जाने का भी निर्देश दिया।

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