हिरासत में मौत का आरोप: बॉम्बे हाई कोर्ट ने नाबालिग के शरीर का दूसरा पोस्टमार्टम करने का निर्देश दिया

Update: 2021-04-06 12:35 GMT

बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले हफ्ते, जुलाई 2018 में पुलिस कस्टडी में कथित तौर पर मारे गए एक नाबालिग के शव का दूसरा पोस्टमार्टम करने का आदेश दिया।

न्यायमूर्ति एस.एस. शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिटले की खंडपीठ ने सर जेजे अस्पताल के अधिकारियों को 17 वर्षीय लड़के सचिन जायसवार का दूसरा पोस्टमार्टम करने का निर्देश दिया, जिसके परिवार ने दूसरा पोस्टमार्टम होने तक शव लेने से इनकार कर दिया था।

परिवार को संदेह है कि मोबाइल चोरी के मामले में हिरासत में लिए गए नाबालिग की वर्ष 2018 में पुलिस हिरासत में मौत हो गई।

कोर्ट की कार्यवाही

3 अप्रैल को, कोर्ट ने धारावी पुलिस स्टेशन से संबंधित, 13 जुलाई 2018 के सीसीटीवी फुटेज का अवलोकन किया।

सीसीटीवी फुटेज को याचिकाकर्ता नंबर 1, उसकी पत्नी के साथ-साथ याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील के साथ-साथ राज्य और संबंधित जांच अधिकारी, जो कि चैंबर में मौजूद थे, की मौजूदगी में देखा गया था।

यह याचिकाकर्ताओं द्वारा पेश वकील द्वारा प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता, मृतक के शरीर के दूसरे पोस्टमार्टम पर जोर दे रहे हैं, और यदि उन्हें अनुमति मिलती है तो वे अंतिम संस्कार करने के लिए मृतक के शरीर की कस्टडी लेंगे।

इस सबमिशन के बाद, कोर्ट ने डीन ऑफ जे.जे. अस्पताल, मुंबई को मृतक के शरीर का दूसरा पोस्टमार्टम करने के लिए एक टीम का गठन करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने कहा,

"जेजे अस्पताल के डीन यह सुनिश्चित करेंगे कि डॉक्टरों के एक दल द्वारा दूसरा पोस्टमार्टम किया जाए, जिनमें से कोई भी पहले टीम का सदस्य नहीं होना चाहिए जिसने पहला पोस्टमार्टम किया हो।"

कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि दूसरी पोस्टमार्टम की रिपोर्ट जैसे ही मुंबई के जे. जे. अस्पताल के डीन के हस्ताक्षर के तहत अदालत के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी, वैसे ही दूसरा पोस्टमार्टम किया जाएगा।

इसके अलावा, अदालत ने निर्देश दिया कि एक बार जब दूसरा पोस्टमार्टम हो जाए, तो मृतक के शरीर को अंतिम संस्कार के लिए याचिकाकर्ता नंबर 1 को सौंप दिया जाएगा।

एपीपी ने कहा कि द्वितीय पोस्टमार्टम किए जाने के बाद, मृतक के शरीर को याचिकाकर्ता नंबर 1 को सौंप दिया जाएगा और अंतिम संस्कार के लिए मृतक के शरीर को लेने के लिए एम्बुलेंस की सुविधा मुफ्त प्रदान की जाएगी। ।

घटना की पृष्ठभूमि

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, लड़के के परिवार ने आरोप लगाया है कि धारावी पुलिस स्टेशन के पुलिसकर्मियों ने उसे मोबाइल चोरी के मामले में हिरासत में लिया था और उसे मामले में प्राथमिकी दर्ज किए बिना हिरासत में लिया था।

इसके अलावा, हिरासत में रहने के दौरान उसे कथित तौर पर बेरहमी से पीटा गया और यातनाएं दी गईं और जब परिवार ने हस्तक्षेप किया, तो उन्हें नाबालिग को अस्पताल ले जाने की अनुमति दी गई, लेकिन कुछ दिनों बाद उसकी मृत्यु हो गई।

नाबालिग के पिता सब्जियां बेचते हैं और वह इसमें शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन चूंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया कि किशोर की निमोनिया से मृत्यु हुई इसलिए कोई कार्यवाही नहीं की गई थी। इससे असंतुष्ट होकर, परिवार ने दूसरे पोस्टमार्टम के लिए प्रार्थना करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था।

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