इलाहाबाद हाईकोर्ट ने COVID पॉजिटिव कर्मचारी का निलंबन आदेश निरस्त किया; कहा- प्रारम्भिक जांच लंबित रहने के दौरान निलंबन आदेश नहीं दिया जा सकता
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आकस्मिक अवकाश पूरा होने के बाद COVID-19 के संक्रमण की वजह से कार्यालय नहीं आने के कारण गौरव बंसल नामक कर्मचारी को उत्तर प्रदेश सरकार के संबंधित अधिकारियों द्वारा जारी निलंबन आदेश निरस्त कर दिया है।
निलंबन आदेश इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि याचिकाकर्ता के रवैये को लेकर प्रारंभिक जांच अब भी लंबित है।
न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की एकल बेंच ने कहा है,
"पक्षकारों के वकीलों की दलीलों पर विचार करने और रिकॉर्ड का अध्ययन करने के बाद, यह स्पष्ट है कि ऐसे मामलों के लिए रिट अपील नंबर 53895 / 2013 पर तीन सितम्बर 2013 को जारी फैसले और आदेश के अनुसार यह कानूनी स्थिति पहले ही तय की जा चुकी है कि प्रारम्भिक जांच लंबित रहने के दौरान निलंबन आदेश जारी नहीं किया जा सकता। उपरोक्त फैसला इस कोर्ट की फुल बेंच द्वारा 'राज वीर सिंह बनाम उत्तर प्रदेश सरकार एवं अन्य, 2010 (10) एडीजे 246' मामले में दिये गये निर्णय पर भरोसा जताते हुए जारी किया गया है।"
इस मामले में याचिकाकर्ता गत तीन अप्रैल को तीन दिन के आकस्मिक अवकाश पर गया था, लेकिन सात अप्रैल को उसे COVID पॉजिटिव पाया गया था, इसीलिए वह ड्यूटी ज्वाइन नहीं कर सका था। उसके भाई ने स्पीड पोस्ट के जरिये संबंधित अधिकारियों को इस बारे में अवगत कराया था तथा याचिकाकर्ता की COVID पॉजिटिव रिपोर्ट भी उनके पास भेजी थी।
याचिकाकर्ता की COVID संक्रमण जांच रिपोर्ट दो मई को निगेटिव आयी और उसने अगले ही दिन कार्यालय ज्वाइन कर लिया था। हालांकि, प्रारंभिक जांच के तहत विचार के लिए उसे पांच मई को एक आदेश जारी करके निलंबित कर दिया गया था।
याचिकाकर्ता ने 'चंद्र प्रकाश एसआई बनाम उत्तर प्रदेश सरकार एवं अन्य, रिट अपील नंबर 53895 / 2013' मामले में दिये गये फैसले पर भरोसा जताते हुए दलील दी थी कि उसे वैसे आधार पर निलंबित नहीं किया जा सकता 'जिसका कोई अस्तित्व ही न हो।'
एडिशनल चीफ स्टैंडिंग काउंसेल भी कानूनी स्थिति का विरोध नहीं कर सके और प्रारंभिक जांच पूरी होने के बाद नये सिरे से आदेश जारी करने की अनुमति मांगी।
तदनुसार, कोर्ट ने आदेश दिया,
"कोर्ट के समक्ष स्थापित स्थिति और तथ्यों के मद्देनजर रिट याचिका के साथ संलग्नक संख्या 1 के रूप में संलग्न 29 अप्रैल 2021 को जारी निलंबन आदेश कानून की नजरों में नहीं टिक सकता और तदनुसार, इसे खारिज किया जाता है। हालांकि प्रारम्भिक जांच रिपोर्ट की प्राप्ति के बाद सक्षम अधिकारी कानून के दायरे में नया आदेश जारी करने के लिए स्वतंत्र होंगे। तदनुसार, कानून के दायरे में इसका परिणाम होगा।"
केस का शीर्षक : गौरव बंसल बनाम उत्तर प्रदेश सरकार एवं अन्य