इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी को जांच पूरी होने तक अग्रिम जमानत दी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी को जांच पूरी होने तक या पुलिस रिपोर्ट/चार्जशीट दाखिल होने तक अग्रिम जमानत दे दी।
जस्टिस राजेश सिंह चौहान की खंडपीठ ने आरोपी को राहत दी, क्योंकि उसने कहा कि पीड़ित और आरोपी दोनों ने एक-दूसरे से शादी कर ली और अब पति-पत्नी के रूप में खुशी-खुशी रह रहे हैं।
अदालत ने टिप्पणी की,
"इसलिए मुद्दे के गुण-दोष में प्रवेश किए बिना पक्षकारों के वकीलों के तर्कों पर विचार करते, रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री को देखते हुए और यह देखते हुए कि आरोपी और पीड़ित दोनों खुशी-खुशी रह रहे हैं, वर्तमान आवेदक का अंडरटेकिंग कि वह जांच में सहयोग करेगा और कभी भी अग्रिम जमानत की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेगा, मुझे यह सही लगता है कि वर्तमान आवेदन की स्वतंत्रता को जांच पूरी होने तक या सीआरपीसी की धारा 173 (2) के तहत पुलिस रिपोर्ट/चार्जशीट दाखिल होने तक संरक्षित किया जा सकता है।"
इस मामले में पीड़िता की मां ने आरोप लगाया कि आरोपी (अमरजीत) ने उसकी नाबालिग बेटी को बहला-फुसलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके तहत आरोपी पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 363 और 366 के तहत मामला दर्ज किया गया। हालांकि जांच के दौरान आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो एक्ट की धारा 7 और 8 को भी जोड़ा गया।
आरोपी ने यह कहते हुए अग्रिम जमानत याचिका दायर की कि वह लड़की से प्यार करता है और दोनों ने 2 अगस्त, 2022 को शादी कर ली। उस दिन उसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक थी। हालांकि, उस समय दर्ज की गई एफआईआर में वह लगभग 17 साल, 11 महीने और 07 दिन की थी।
उसका आगे निवेदन था कि वे दोनों एक साथ रह रहे हैं और पीड़िता को आवेदक के खिलाफ किसी भी प्रकार की कोई शिकायत नहीं है। पीड़िता के वकील ने भी आरोपी के मामले का समर्थन किया।
इसे देखते हुए हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि गिरफ्तारी की स्थिति में आरोपी को जांच पूरी होने तक मामले में अग्रिम जमानत पर रिहा किया जाए, जिसके लिए उसे 25,000/- रुपये का निजी मुचलका और इतनी ही जमानत राशि के दो जमानतदार पेश करने होंगे।
आवेदक/अभियुक्त की ओर से एडवोकेट सुधांशु एस. त्रिपाठी एवं ऋत्विका त्रिपाठी उपस्थित हुए।
केस टाइटल- अमरजीत बनाम स्टेट ऑफ यू.पी. के माध्यम से अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रिन. सचिव होम, लो. एलको. और 4 अन्य [आपराधिक विविध अग्रिम जमानत आवेदन सीआरपीसी की धारा 438 नंबर- 1687/2022]
केस साइटेशन: लाइव लॉ (एबी) 466/2022
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