इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कश्मीर में कथित रूप से अपराध फैलाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भारत संघ को निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज की
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में भारत संघ (यूनियन ऑफ इंडिया) को उन लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग वाली एक याचिका को खारिज कर दिया , जो कथित तौर पर गोहत्या, धर्म परिवर्तन, कश्मीर में अपराध फैलाने में शामिल हैं और साधारण नागरिकों से पैसे भी छीन रहे हैं।
जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस बृज राज सिंह की पीठ एक जमानत अब्बास की याचिका पर विचार कर रही थी, जो कुछ विपरीत पक्षों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के लिए अधिकारियों को परमादेश (mandamus) जारी करने की मांग कर रहा था।
याचिकाकर्ता द्वारा यह आरोप लगाया गया कि ये व्यक्ति गोहत्या, धर्म परिवर्तन, कश्मीर में अपराध फैलाने में शामिल हैं और सामान्य कानून का पालन करने वाले देश के नागरिकों से पैसे भी छीन रहे हैं और उक्त आपराधिक गतिविधियों द्वारा देश की एकता को भंग और नष्ट करना चाहते हैं।
पीठ ने आश्चर्य जताया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट द्वारा परमादेश की ऐसी सर्वव्यापी रिट कैसे जारी की जा सकती है।
इसके बजाय कोर्ट की राय थी कि वर्तमान मामले में एक उपाय यह हो सकता है कि एक एफआईआर दर्ज की जाए और यदि वह दर्ज नहीं की जा रही है तो सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत उपचार लिया जाए।
कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे याचिकाकर्ता के इशारे पर कोर्ट द्वारा इस तरह का निर्देश (भारत संघ को कार्रवाई करने का निर्देश) जारी किया जा सके। अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा, "अगर कोई सिविल कारण है तो पीड़ित व्यक्ति सिविल कार्यवाही शुरू कर सकता है।"
केस टाइटल
- ज़मानत अब्बास बनाम सचिव गृह मंत्रालय और अन्य के माध्यम से यूनियन ऑफ़ इंडिया [आपराधिक विविध। रिट याचिका नंबर 3998/2022
साइटेशन : 2022 लाइव लॉ (एबी) 308
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