इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एफआईआर के दो महीने के भीतर चार्जशीट दाखिल नहीं करने के आधार पर बलात्कार के आरोपी को 'डिफ़ॉल्ट जमानत' देने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया , जिसमें एक बलात्कार के आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के दो महीने के भीतर आरोप पत्र दायर नहीं किए जाने की स्थिति में 'डिफ़ॉल्ट जमानत' की मांग की गई थी।
जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस विकास बुधवार की खंडपीठ ने याचिका को 'गलत' होने के कारण खारिज कर दिया क्योंकि यह कहा गया था कि इस तरह की याचिकाओं को जनहित याचिका में संबोधित करने की आवश्यकता नहीं है।
जनहित याचिका वैभव कुमार पांडे द्वारा दायर की गई थी और एक अन्य ने निर्देश देने की मांग की थी। इसमें कहा गया कि एक आरोपी जिस पर आईपीसी की धारा 376, 376ए, 376एबी, 376बी, 376सी, 376डी, 376डीए, 376डीबी और 376ई के तहत मामला दर्ज है, वह एफआईआर दर्ज होने के दो महीने के भीतर आरोप पत्र दायर करने में जांच अधिकारियों की विफलता के बाद 'डिफ़ॉल्ट जमानत' की मांग कर सकता है।
हालांकि, न्यायालय ने निम्नलिखित टिप्पणियों के द्वारा याचिका को खारिज कर दिया:
" ऐसी प्रार्थना को एक जनहित याचिका में संबोधित करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि जो व्यक्ति डिफ़ॉल्ट जमानत चाहता है वह संबंधित अदालत में आवेदन करके ऐसा कर सकता है और यदि ऐसा लाभ नहीं दिया जाता है तो वह हाईकोर्ट के समक्ष उचित उपाय का सहारा ले सकता है।"
यह ध्यान दिया जा सकता है कि सीआरपीसी की धारा 173 (1ए) में कहा गया है कि आईपीसी की धारा 376, 376ए, 376एबी, 376बी, 376सी, 376डी, 376डीए, 376डीबी या 376ई के तहत अपराध की जांच एफआई दर्ज होने की तारीख से दो महीने के भीतर पूरी की जाएगी।
याचिकाकर्ता के वकील: उज्ज्वल सत्संगी
प्रतिवादी के लिए वकील: एएसजीआई, सीएससी
केस टाइटल - वैभव कुमार पांडे और अन्य बनाम भारत संघ और 2 अन्य [पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (पीआईएल) नंबर - 9/2023]
साइटेशन : 2023 लाइवलॉ (एबी) 10
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