इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वैवाहिक विवाद में उर्दू स्कॉलर पर पासपोर्ट सरेंडर करने की 'कठिन' जमानत शर्त हटाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह एक उर्दू विद्वान मिर्जा शफीक हुसैन शफाक पर एसएसपी / एसपी के समक्ष एक वैवाहिक विवाद के संबंध में उनका पासपोर्ट जमा करवाने की अंतरिम जमानत की शर्त हटाने का आदेश दिया।
जस्टिस सिद्धार्थ की पीठ ने जमानत की शर्त को 'कठिन' बताते हुए विदेश यात्रा के मौलिक अधिकार पर जोर दिया और कैप्टन अनिला भाटिया बनाम हरियाणा राज्य के मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले का हवाला दिया। इसके अलावा, कोर्ट ने आदेश दिया कि पासपोर्ट के सरेंडर करने की शर्त हटा दी जाए।
गौरतलब है कि कैप्टन अनिला भाटिया मामले में कोर्ट ने पासपोर्ट को जमानत की शर्त के तौर पर जब्त करने के संबंध में महत्वपूर्ण टिप्पणी की थी। न्यायालय ने कहा,
"आपराधिक अदालतों को ऐसी शर्त लगाने में अत्यधिक सावधानी बरतनी होगी। हर मामले में जहां किसी आरोपी के पास पासपोर्ट है, उसके समर्पण के लिए कोई शर्त यह मैकेनिकली नहीं हो सकती। कानून किसी आरोपी को तब तक निर्दोष मानता है जब तक कि उसे दोषी घोषित नहीं कर दिया जाता। एक संभावित रूप से निर्दोष व्यक्ति के रूप में वह संविधान के तहत उसे गारंटीकृत सभी मौलिक अधिकारों का हकदार है।
आपराधिक अदालत को जमानत पर रिहा होने, न्याय से भागने और इस तरह न्याय की प्रक्रिया विफल करने की संभावना पर विचार करना होगा, और कानून के साथ-साथ अभियुक्त के व्यक्तिगत अधिकार पर भी विचार करना होगा। अदालत को यह तय करना होगा कि क्या अभियुक्त की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बावजूद न्याय के हित के लिए आवश्यक है कि उसे अपना पासपोर्ट सरेंडर करवाकर उसकी आवाजाही के अधिकार को मामले की पेंडेंसी के दौरान प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।"
अदालत ने आवेदक नंबर 1 (उर्दू विद्वान मिर्जा शफीक हुसैन शफाक) के वकील के तर्कों पर ध्यान दिया और रिकॉर्ड में रखी गई सामग्री को देखते हुए आवेदन की अनुमति दी और पासपोर्ट जमा करने की शर्त हटा दी।
कोर्ट ने आगे कहा,
" जिस प्राधिकारी के पास आवेदक नंबर 1 ने अपना पासपोर्ट जमा किया है , वह उसी को जारी करेगा बशर्ते आवेदक नंबर 1 अपने हलफनामे द्वारा समर्थित एक आवेदन को इस प्रमाण के साथ प्रस्तुत करे कि उसे अभी भी किसी भविष्य की तारीख में विदेश जाने की आवश्यकता है और यदि पासपोर्ट उसे दिया जाता है तो वह उसे दी गई स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेगा और जब भी आवश्यक होगा, ट्रायल कोर्ट के सामने पेश होगा। "
आवेदक ने अपने आपराधिक विविध आवेदन में हाईकोर्ट के जनवरी 2021 के आदेश में ज़मानत के लिए दी गई शर्त नंबर 3 (पासपोर्ट सरेंडर करने की शर्त) में संशोधन की प्रार्थना की थी।
उन्होंने कहा था कि वह एक सरकारी कॉलेज में लेक्चरर हैं और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के सेमिनारों में भाग लेने वाले एक प्रसिद्ध उर्दू विद्वान / लेखक और वक्ता भी हैं। वह कई पुस्तकों के लेखक और अनुवादक भी हैं और उन्हें कुवैत में एक पुस्तक के विमोचन का निमंत्रण मिला है, जिसके लिए उन्हें विदेश यात्रा करनी पड़ रही है।
इसलिए उन्होंने पासपोर्ट जमा करने से छूट की मांग की और एक वैवाहिक विवाद के संबंध में उन्हें अंतरिम जमानत देते हुए एचसी के आदेश के अनुसरण में जमा किए गए उनके पासपोर्ट को पुन: उन्हें सौंपने के लिए संबंधित प्राधिकरण को निर्देश देने की मांग की।
केस टाइटल : मिर्जा शफीक हुसैन शफाक और एक अन्य बनाम यूपी राज्य और अन्य
[आपराधिक विविध अग्रिम जमानत आवेदन सीआरपीसी की धारा 438)
नंबर - 142/2021
साइटेशन : 2022 लाइव लॉ (एबी) 277
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