(अगस्टा वेस्टलैंड केस) 'भारत में गहरी जड़ें नहीं होने के कारण जमानत से इनकार नहीं किया जा सकता': क्रिश्चियन मिशेल ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा
जमानत की कोशिश कर रहे अगस्ता वेस्टलैंड मामले के आरोपी क्रिश्चियन मिशेल ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा है कि भारत में गहरे संबंध नहीं होना ट्रायल कोर्ट के लिए उसे जमानत से इनकार करने का आधार नहीं हो सकता। जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने मिशेल की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं।
मिशेल की ओर से पेश अधिवक्ता अल्जो के जोसेफ ने अदालत के समक्ष दलील दी कि मामले में गिरफ्तार अन्य सभी आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया है, केवल उन्हें जमानत देने से इनकार किया गया है कारण केवह यह कि उनकी वह एक भारतीय नागरिक नहीं है और देश में उसकी गहरे संबंध नहीं है।
जोसेफ ने कहा,
"यह मानदंड नहीं हो सकता कि समाज में मेरी गहरी जड़ें नहीं हैं, इसलिए मुझे जमानत नहीं मिल सकती है। तीन साल की प्री ट्रायल डिटेंशन के बाद अपनी बेगुनाही साबित करना मेरी जिम्मेदारी और कर्तव्य है। मामले की जांच पिछले 8 साल से चल रही है, जो हम नहीं जानते कि सीबीआई और ईडी दोनों कब तक खत्म करेंगी।"
जोसेफ ने अदालत को यह भी बताया कि मिशेल को दुबई मजेल में 100 दिनों से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया था, जिसके बाद उसे 4 दिसंबर 2018 को भारत लाया गया था।
उन्होंने कहा,
"मुझे निर्वासित कर भारत लाया गया। न्यायिक हिरासत में मैंने 3 साल पूरे कर लिए हैं ।"
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद कार्य समूह के हस्तक्षेप के बारे में भी न्यायालय को अवगत कराया। जोसेफ के अनुसार वर्किंग ग्रुप ने निष्कर्ष निकाला था कि भारत सरकार द्वारा क्रिश्चियन मिशेल की स्वतंत्रता से वंचित करना विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय अनुबंधों में उल्लिखित मानवाधिकार सिद्धांतों का उल्लंघन है।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि समूह ने सरकार से आवश्यक कदम उठाने और मिशेल को तुरंत रिहा करने पर विचार करने का अनुरोध किया था।
कोर्ट को यह भी बताया गया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 8, 9 और 12 के तहत अपराध ही ऐसे वास्तविक अपराध हैं, जिनके बारे में कथित तौर पर कहा जा सकता है कि उन्हें मिशेल ने किया है, और उसे 5 साल की अधिकतम सजा हो सकती है।
उन्होंने कहा,
"कथित रूप से किए गए अपराध 2004 से 2010 के बीच किए गए हैं। 2013 में एफआईआर दर्ज की गई थी। चार्जशीट में आरोपों के अनुसार, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत पूरे अपराध के लिए, जैसा कि 2010 या उससे पहले था, अधिकतम सजा 5 साल होगी।"
मामले की सुनवाई अब 8 दिसंबर को होगी। श्रीराम परक्कट और एमएस विष्णु शंकर इस कार्यवाही में मिशेल का प्रतिनिधित्व करने वाले अन्य वकील हैं।
कोर्ट ने जुलाई में मिशेल की जमानत याचिका पर सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से जवाब मांगा था। दिल्ली की एक अदालत ने मिशेल की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद यह कदम उठाया गया था। विशेष सीबीआई जज अरविंद कुमार ने यह कहते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी थी, "चिकित्सा आधार पर जमानत देने का कोई मामला नहीं बनता है।"
याचिका में मिशेल ने कहा था कि उन्हें भारत सरकार और सीबीआई ने अवैध रूप से हिरासत में लिया था। उन्हें 4 दिसंबर 2018 को दुबई से निर्वासित किया गया और अदालत के समक्ष पेश किया गया था।
हालांकि, जमानत याचिका को खारिज करते हुए विशेष अदालत ने अपने आदेश में कहा था, "समग्र तथ्यों, परिस्थितियों, आरोपों की प्रकृति, अपराध की गंभीरता और अभियुक्त के पूर्वोक्त आचरण को देखते हुए मैं इसे जमानत देने के लिए एक उपयुक्त मामला नहीं मानता। आरोपी द्वारा दायर जमानत के लिए आवेदन, इस प्रकार, खारिज किया जाता है।"
मिशेल के खिलाफ 2017 में चार्जशीट दाखिल की गई थी जिसके बाद उसे दुबई से प्रत्यर्पित करने के बाद दिसंबर 2018 में गिरफ्तार किया गया था। वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाले में हुए अवैध लेनदेन के लिए उन्हें कथित तौर पर 'बिचौलिया' कहा जाता है।
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि 556.262 मिलियन यूरो के वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों की आपूर्ति के लिए 8 फरवरी, 2010 को हुए सौदे में सरकारी खजाने को 398.21 मिलियन यूरो (लगभग 2666 करोड़) का नुकसान हुआ था।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जून, 2016 में श्री मिशेल के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्हें अगस्ता वेस्टलैंड से 30 मिलियन यूरो (लगभग 225 करोड़ रुपये) प्राप्त हुए थे।
शीर्षक: क्रिश्चियन मिशेल बनाम सीबीआई, ईडी