राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के बाद भारतीय नागरिक के शव को स्वदेश भेजा जाएगा, परिवार दाह संस्कार करेगा
राजस्थान हाईकोर्ट को बुधवार को रूस में एक भारतीय नागरिक को दफनाने से संबंधित मामले में सूचित किया गया कि मृतक व्यक्ति के परिवार को उसका अंतिम संस्कार करने के लिए उसके शव को कब्र से निकाला जाएगा और भारत वापस लाया जाएगा।
जस्टिस दिनेश मेहता ने केंद्र और राज्य दोनों को आवश्यक व्यवस्था करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि एक भारतीय नागरिक का शव परिवार के सदस्यों को उनके गांव गोडवा, तहसील खेरवाड़ा में जल्द से जल्द सौंप दिया जाए।
पीठ ने आदेश दिया,
"एक बार जब शव रूसी सरकार से भारत सरकार को प्राप्त हो जाए तो राज्य सरकार भी यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास करेगी कि इसे याचिकाकर्ता परिवार के सदस्यों को उनके गांव गोडवा, तहसील खेरवाड़ा में सौंप दिया जाए।"
शुरुआत में एएसजी आरडी रस्तोगी ने प्रस्तुत किया कि मृतक के शरीर को रूसी सरकार द्वारा तीन दिसंबर, 2021 को मास्को में कब्रिस्तान में दफनाया गया था, क्योंकि मृतक का परिवार शव का दावा करने के लिए नहीं आया था।
एएसजी ने आगे बताया कि भारत सरकार ने अधिकारियों को समझा दिया कि मृतक के रीति-रिवाजों के अनुसार शव का अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए न कि दफनाया जाना चाहिए। यह विचार करने पर कि दफनाने से याचिकाकर्ताओं के अंतिम संस्कार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जांच समिति ने शव को निकालने और मुर्दाघर को सौंपने पर सहमति व्यक्त की। इसके बाद आवश्यक औपचारिकताओं और प्रक्रिया को पूरा करने के लिए शव को अधिकृत व्यक्ति को सौंप दिया जाएगा।
अदालत को बताया गया कि रूस में शीतकालीन अवकाश के कारण शव अधिकृत एजेंट को नहीं सौंपा जा सका. उन्होंने प्रस्तुत किया कि भारतीय दूतावास को रूसी परिषद ने आश्वासन दिया है कि यह जल्द से जल्द किया जाएगा और मृतक के नश्वर अवशेष / शरीर को 2 से 3 दिनों की अवधि के भीतर सौंपे गए एजेंट को सौंप दिया जाएगा।
अदालत ने अतिरिक्त मुख्य सचिव सह रेजिडेंट कमिश्नर, बीकानेर हाउस दिल्ली को निर्देश दिया कि शव को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से याचिकाकर्ताओं के आवास तक लाने के लिए आवश्यक व्यवस्था की जाए।
यह निर्देश एएसजी की प्रार्थना और आश्वासन के अनुसार जारी किया गया कि शव को दिल्ली हवाई अड्डे पर लाया जाएगा। इसके बाद यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी राज्य की होगी कि यह याचिकाकर्ताओं तक पहुंचे।
वर्तमान मामला अब 18 जनवरी, 2022 को सूचीबद्ध है।
याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट सुनील पुरोहित उपस्थित हुए जबकि एजीजी आरडी रस्तोगी सरकार की ओर से पेश हुए। प्रतिवादियों की ओर से बीपी बोहरा और एएजी संदीप शाह पेश हुए।
पृष्ठभूमि
राजस्थान हाईकोर्ट ने 20 दिसंबर, 2021 को संघ से कहा कि वह पिछले चार महीनों से रूस में पड़े एक भारतीय नागरिक के शव को दफनाने की अनुमति न दे।
जस्टिस दिनेश मेहता की खंडपीठ ने विदेश सचिव को भारत सरकार के विदेश मंत्री से हस्तक्षेप करने और अपने कार्यालयों का उपयोग करने का अनुरोध करके राजनयिक स्तर पर इस मुद्दे को हल करने के तरीकों का पता लगाने का निर्देश दिया।
न्यायालय उन याचिकाकर्ताओं (आशा, उर्वशी, और पीयूष कुमार) की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिन्होंने इस शिकायत के साथ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि उनके पति/पिता स्वर्गीय हितेंद्र कुमार गरासिया का रूस में किसी दुर्घटना में निधन हो गया था। उनका शव पिछले चार महीने से रूस में लावारिस पड़ा हुआ है।
हाईकोर्ट ने 15 दिसंबर, 2021 को पत्नी और बच्चों की याचिका पर रूसी दूतावास/रूसी संघ की सरकार को नोटिस जारी किया। हालांकि उनकी ओर से कोई पेश नहीं हुआ।
केस शीर्षक: आशा बनाम भारत संघ
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