[यूपी में वकीलों की हड़ताल] इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीसीआई को नोटिस जारी किया, राज्य बार काउंसिल से स्थानीय विवादों को हल करने पर विचार करने को कहा

Update: 2022-12-20 15:26 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका में बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया है। उक्त याचिका में वकीलों की हड़ताल के संबंध में प्रासंगिक निर्देश मांगे गए हैं। चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की खंडपीठ ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया है, जिसका जवाब 18 जनवरी, 2023 तक देना है।

इस मामले में कोर्ट ने पहले उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को हलफनामा दायर करने के लिए कहा था, जिसमें सभी जिला बार एसोसिएशन, दूरस्‍थ न्यायालयों, तहसीलों, आयुक्तालय और अन्य बार संघों की स्थिति बतानी है कि क्या वे न्यायिक कार्य नहीं कर रहे हैं और ऐसा कब से कर रहे हैं।

गुरुवार को राज्य बार काउंसिल ने प्रस्तुत किया कि राज्य के सभी बार एसोसिएशनों को संबंधित अधिकार क्षेत्र में हड़ताल की स्थिति के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए एक पत्र भेजा गया है।

इसके अलावा, न्यायालय के समक्ष, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, इलाहाबाद के अध्यक्ष आरके ओझा ने सुझाव दिया कि उत्तर प्रदेश की बार काउंसिल को पदाधिकारियों के साथ राज्य में विभिन्न बार एसोसिएशनों की एक बैठक बुलानी चाहिए ताकि मुद्दों का पता लगाया जा सके और यदि कोई मामला है तो समिति गठित करके उसका समाधान करें।

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि स्थानीय विवादों के समाधान के लिए जिला स्तर पर समितियों के गठन के मुद्दे की भी जांच की जा सकती है। इसे देखते हुए कोर्ट ने स्टेट बार काउंसिल से जिला स्तर पर कमेटियों के गठन के लिए इस सुझाव पर विचार करने को कहा।

पिछले महीने, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के अध्यक्ष की व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग की थी ताकि भविष्य में बार-बार होने वाली वकीलों की हड़ताल को रोकने के लिए परिषद द्वारा उठाए जाने वाले कदमों और इस मामले में की जाने वाली कार्रवाई की व्याख्या की जा सके।

जस्टिस अजय भनोट की पीठ सूरज पासी द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए और यह देखते हुए कि वकीलों के हड़ताल पर होने के कारण मामले की सुनवाई कई मौकों पर आगे नहीं बढ़ सकी, यह आदेश दिया।

केस टाइटलः जयराम बनाम यूपी राज्य और अन्य

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