हथियारों से लैस आरोपी पक्ष इस बात का लाभ नहीं उठा सकता कि झगड़ा अचानक हुआ था, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने ग़ौर करते हुए कहा कि जब आरोपी पक्ष अपराध स्थल पर हथियारों से लैस होकर आया तो यह इस बात का स्पष्ट संकेत था कि अपराध झगड़े के दौरान उत्तेजना के क्षण में नहीं हुआ और इसलिए आईपीसी के धारा 300 के अपवाद 4 के तहत राहत का दावा नहीं किया जा सकता है।
गुरु @ गुरूबरन बनाम राज्य मामले में अपील में हत्या के आरोपी की दलील यह थी कि यह अपराध हत्या का नहीं बल्कि हत्या के प्रयास जिसे कि हत्या नहीं कहा जा सकता, का है और यह मामला आईपीसी की धारा 300 के अपवाद 4 के तहत आएगा।
आईपीसी की धारा 300 के अपवाद 4 में प्रावधान है कि अपराध करने वाला व्यक्ति जानता है कि यह इतना ख़तरनाक है कि इससे शरीर को ऐसी चोट लग सकती है जिससे किसी कि मौत तक हो सकती है और फिर वह बिना किसी बहाने के यह काम करता है और मौत या ऊपर वर्णित किसी भी तरह के चोट का कारण बनता है।
न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस ने इस मामले में कहा कि साक्ष्य से पता चला है कि घटनास्थल पर आरोपी पक्ष के सभी लोग हथियारों से लैस होकर आए। दो लोगों के पास हंसिया थे, एक के पास लोहे का पाइप था, जबकि एक अन्य के पास लकड़ी के टुकड़े थे।
यह कहते हुए कि आरोपी इस अपवाद का सहारा नहीं ले सकते, पीठ ने कहा,
"अगर यह मान भी लिया जाए कि ये लोग किसी को मारने के उद्देश्य से नहीं आए थे, यह तथ्य कि ये लोग हथियारों से लैस थे और जो घटना घटी वह अचानक झगड़ा होने के कारण उत्तेजना के क्षण में नहीं घटी थी। जैसा कि ऊपर कहा गया है, दोनों ही पक्ष एक पंचायत में विवाद सुलझाने के लिए आ रहे थे। अगर उद्देश्य विवाद सुलझाना था तो हथियारों से लैस होकर आने की क्या ज़रूरत थी?"