[दिल्ली दंगा] "आरोपी सीसीटीवी फुटेज में नहीं दिख रहे, गवाहों द्वारा पहचान किए जाने के बाद डिस्चार्ज का कोई आधार नहीं": दिल्ली कोर्ट ने 11 के खिलाफ आरोप तय किए

Update: 2022-02-03 09:08 GMT

दिल्ली कोर्ट (Delhi Court) ने उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों (Delhi Riots) से संबंधित एक मामले में 11 के खिलाफ आरोप तय किए हैं।

कोर्ट ने कहा कि आरोपी सीसीटीवी फुटेज में नहीं दिखे, इसे डिस्चार्ज करने का आधार नहीं बनाया जा सकता है।

इन दंगों ने 2020 में शहर को हिलाकर रख दिया था।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट ने अंकित चौधरी उर्फ फौजी, सुमित बादशाह, पप्पू, विजय, आशीष कुमार, सौरभ कौशिक, भूपेंद्र, शक्ति सिंह, सचिन कुमार, राहुल और योगेश के खिलाफ आरोप तय किए।

गोकलपुरी थाने में दर्ज प्राथमिकी 58/2020 में आईपीसी की धारा 147 (दंगा करने की सजा), 148 (दंगा, घातक हथियार से लैस), 380 (घर में चोरी), 427 (नुकसान पहुंचाने वाली शरारत), 436 (घर को नष्ट करने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ द्वारा शरारत), 149 (गैरकानूनी असेंबली) के तहत आरोप तय किए गए हैं।

बेंच ने कहा,

"तथ्य यह है कि आरोपी सीसीटीवी फुटेज में नहीं दिख रहे हैं, इस मामले में उनके आरोप मुक्त होने का आधार नहीं बनाया जा सकता है क्योंकि उन्हें दो सार्वजनिक गवाहों और दो पुलिस गवाहों द्वारा स्पष्ट रूप से पहचाना गया है। आरोपियों का कहना है कि इस मामले में संबंधित सीसीटीवी घटना के सटीक स्थान यानी शिकायतकर्ता नसीम खान की दुकान से संबंधित है।"

प्राथमिकी नसीम खान नामक व्यक्ति की लिखित शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी। इसमें कहा गया था कि कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने उसकी दुकान में प्रवेश किया, उसे लूट लिया और उसे आग लगा दी।

शिकायतकर्ता ने लिखित शिकायत में किसी हमलावर का नाम नहीं लिया था, हालांकि जांच के दौरान दो सार्वजनिक गवाहों और दो पुलिस गवाहों के बयान दर्ज किए गए।

सार्वजनिक गवाहों ने कहा कि सभी आरोपी व्यक्ति गैरकानूनी सभा के सदस्य थे, जिन्होंने गोकलपुरी क्षेत्र में तोड़फोड़ और संपत्तियों को जला दिया था और उन्होंने शिकायतकर्ता की दुकान को भी लूट लिया, क्षतिग्रस्त किया और आग लगा दी।

उन्होंने विशेष रूप से सभी आरोपियों के नाम लेते हुए कहा कि वे उन्हें पहले से जानते है और घटना के समय दंगाइयों के बीच उनकी पहचान की। इसी तरह, पुलिस के गवाहों ने भी दंगाइयों में से आरोपियों की पहचान की थी, जिन्होंने क्षेत्र में अन्य संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने और जलाने के अलावा, शिकायतकर्ता की दुकान में तोड़फोड़ की और आग लगाई थी।

कोर्ट ने कहा कि घटना के संबंध में सीसीटीवी फुटेज की उपलब्धता एक पुष्ट साक्ष्य के रूप में काम करेगी।

न्यायाधीश ने कहा,

"इस घटना में उनकी संलिप्तता उपरोक्त नामित सार्वजनिक गवाहों/पुलिस गवाहों के बयानों के आधार पर और अधिक स्पष्ट हो गई। इन गवाहों के बयानों को अभियुक्तों के खिलाफ आरोपों के निर्णय के इस चरण में खारिज करना पूरी तरह से अनुचित होगा। "

कोर्ट ने 11 के खिलाफ आरोप तय किए गए।

केस का शीर्षक: राज्य बनाम अंकित चौधरी एंड अन्य।

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