सुधार गृह से आरोपी लापता: कलकत्ता हाईकोर्ट ने जेल अधिकारियों की रिपोर्ट से असंतुष्टी जताते हुए लापता व्यक्ति का पता लगाने का निर्देश दिया

Update: 2022-01-01 08:04 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट ने विचाराधीन मामले में प्रेसीडेंसी सुधार गृह, पश्चिम बंगाल से लापता हुए आरोपी के संबंध में जेल अधीक्षक द्वारा दायर की गई प्रारंभिक रिपोर्ट से असंतुष्टी जाहिर की। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने गुरुवार को अधिकारियों को उस व्यक्ति का पता लगाने और मामले में एक और रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

जस्टिस शंपा सरकार और जस्टिस बिभास रंजन डे की खंडपीठ बुद्धदेब भौमिक द्वारा दायर एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें आरोप लगाया गया कि उसके पिता (आपराधिक मामले में एक आरोपी) कोर्ट के आदेश पर जमानत पर रिहा होने से ठीक पहले प्रेसीडेंसी सुधार गृह से गायब हो गए।

रिपोर्ट में सुधार गृह के अधीक्षक ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि आरोपी रंजीत भौमिक को 21 दिसंबर, 2021 को एसीजेएम, उलुबेरिया द्वारा जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया गया था। जमानत बॉन्ड अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद कोर्ट ने निर्देश दिया कि आरोपी को अविलंब रिहा किया जाए।

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि इसके बाद आरोपी को प्रेसीडेंसी सुधार गृह ले जाया गया ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसके खिलाफ कोई अन्य मामला लंबित है या नहीं। जब यह पाया गया कि उसके खिलाफ कोई अन्य मामला लंबित नहीं है, तो उसे तुरंत 21 दिसंबर, 2021 को रिहा कर दिया गया।

हालांकि, अदालत ने यह आश्चर्यजनक पाया कि रिपोर्ट में वह तथ्य गायब था जब आरोपी को प्रेसीडेंसी सुधार गृह में ले जाया गया था। आखिरकार आरोपी को किस समय रिहा किया गया था।

हाईकोर्ट ने कहा,

"यह अदालत आज दायर की गई रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है। प्रथम दृष्टया, ऐसा प्रतीत होता है कि प्रेसीडेंसी सुधार गृह के अधिकारियों ने जेल कोड के अनुसार कार्यवाही नहीं की है। सरकारी वकील का तर्क है कि आरोपी को वापस जेल में नहीं लिया गया, लेकिन अधीक्षक के कार्यालय से रजिस्टर में एक प्रविष्टि किए बिना छोड़ दिया गया, क्योंकि उसके खिलाफ कोई अन्य मामला लंबित नहीं था। निचली अदालत ने भी आरोपी को तुरंत रिहा करने का निर्देश दिया था। यह न्यायालय द्वारा स्वीकार्य नहीं है।"

आरोपी के परिवार की आशंका है कि उसने जेल में अपनी बीमारी के कारण दम तोड़ दिया और मौत के तथ्य को सही ढंग से नहीं बताया गया।

इसके अलावा, न्यायालय ने प्रथम दृष्टया कहा कि जेल अधिकारियों ने कानून के अनुसार मामले को आगे नहीं बढ़ाया, क्योंकि यह नोट किया गया कि सरकारी वकील ने प्रस्तुत किया कि व्यक्ति को शाम 7.52 बजे रिहा कर दिया गया था। हालांकि, इस तथ्य को रिपोर्ट में दर्ज नहीं किया गया था।

महत्वपूर्ण बात यह है कि कोर्ट ने इसे गंभीर चिंता का विषय बताया कि आरोपी को संबंधित रजिस्टर में बिना किसी प्रविष्टि के रिहा कर दिया गया और वह भी शाम 7.52 बजे।

इसलिए, कोर्ट द्वारा नोट की गई प्रक्रियात्मक अनियमितता को देखते हुए और कोर्ट के समक्ष दिए गए बयानों में विसंगति को देखते हुए कोर्ट ने नियमित बेंच के समक्ष आरोपी रंजीत भौमिक को बरामद किए जाने के प्रयास के संबंध में पेश की जाने वाली एक और रिपोर्ट का निर्देश दिया।

कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात पर भी जोर दिया कि यह सुनिश्चित करना अधिकारियों का कर्तव्य होगा कि परिवार की इस दलील के मद्देनजर कि आरोपी उक्त सुधार गृह से लापता हो गया है, आरोपी की बरामदगी हो सके।

अंत में कोर्ट ने मामले को चार जनवरी, 2022 को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट किया। सुनवाई की इसी तारीख को प्रेसीडेंसी सुधार गृह के अधीक्षक के कार्यालय में 21 दिसंबर, 2021 की रिकॉर्डिंग के सीसीटीवी फुटेज को भी अदालत के समक्ष पेश किया जाना है ताकि यह प्रमाणित किया जा सके कि आरोपी को न्यायालय से वापस लाया गया, कार्यालय में बैठाया गया और उसके बाद शाम 7.52 बजे रिहा कर दिया गया।

अधीक्षक, प्रेसीडेंसी सुधार गृह को भी मूल रजिस्टर और सुधार गृह से आरोपी की रिहाई को दर्शाने वाले अन्य दस्तावेजों के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया गया।

केस का शीर्षक - बुद्धदेब भौमिक बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य।

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