'न्यायिक कर्तव्यों का त्याग': ग्रेटा थनबर्ग टूलकिट मामले में कानूनी विशेषज्ञों ने बिना वकील को सुने दिशा रवि को रिमांड पर भेजने पर सवाल उठाए

Update: 2021-02-15 03:45 GMT

ग्रेटा थनबर्ग 'टूलकिट' मामले में मजिस्ट्रेट के 21 वर्षीय जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि को रिमांड में लेने के फैसले की आलोचना करते हुए आपराधिक कानून के जानकार वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका माममेन जॉन ने कहा कि यह "न्यायिक कर्तव्यों के त्यागने का चौंकाने वाला संकेत" है।

अधिवक्ता रेबेका दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के मजिस्ट्रेट के आचरण पर गहरी निराशा व्यक्त की, जिन्होंने दिल्ली पुलिस की पांच दिन की हिरासत के लिए युवती को रिमांड पर भेजा, बिना यह सुनिश्चित किए कि उसे वकील द्वारा प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है।

जॉन ने फेसबुक पर लिखा,

"मजिस्ट्रेटों को रिमांड के अपने कर्तव्यों को गंभीरता से लेना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संविधान के अनुच्छेद 22 का जनादेश का पालन किया जाता है। यदि सुनवाई के समय आरोपी का वकील द्वारा प्रतिनिधित्व नहीं किया जा रहा था, तो मजिस्ट्रेट को उसके वकील के आने का इंतजार करना चाहिए था। वैकल्पिक रूप में, उसे कानूनी सहायता प्रदान की जानी चाहिए।"

विभिन्न समाचार रिपोर्टों के अनुसार, दिशा रवि ने मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने स्तर पर प्रस्तुतियां दीं। उसने भारतीय राज्य के खिलाफ किसी भी साजिश का हिस्सा होने से इनकार किया। समाचार रिपोर्टों के अनुसार, दिशा रवि ने मजिस्ट्रेट के सामने कहा, "मैं सिर्फ किसानों का समर्थन कर रही थी। मैंने किसानों का समर्थन किया क्योंकि वे हमारा भविष्य हैं और हम सभी को अन्न की जरूरत है।" उसने आगे कहा कि उसने टूलकिट नहीं बनाया, सिर्फ दो एडिट किए थे।

मजिस्ट्रेट की प्रतिक्रिया पर तेजी से सवाल उठाते हुए, जॉन ने पूछा,

"केस डायरी और गिरफ्तारी मेमो की जांच की गई थी?"

जॉन ने यह भी पूछा कि क्या मजिस्ट्रेट ने पूछा कि रवि को बेंगलुरू से सीधे वहां के न्यायालयों से ट्रांजिट रिमांड के बिना क्यों लाया गया?

वरिष्ठ वकील ने पूछा कि,

"क्या मजिस्ट्रेट ने स्पेशल सेल से पूछा कि उसे बेंगलुरु की अदालतों से ट्रांजिट रिमांड के बिना सीधे बेंगलुरु से क्यों पेश किया जा रहा है?"

दिशा रवि को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने शनिवार रात उसके बेंगलुरु स्थित आवास से गिरफ्तार किया और रविवार दोपहर दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया।

रेबेका जॉन ने कहा कि कार्यरत मजिस्ट्रेटों को केवल नियमित मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने तक आरोपी को एक दिन की हिरासत में भेजना चाहिए।

एडवोकेट जॉन ने कहा कि,

"यदि आप एक कार्यरत मजिस्ट्रेट हैं, तो रविवार को बैठे हुए हैं, तो आपको एक दिन के लिए रिमांड पर भेजना चाहिए, ताकि अगले दिन नियमित अदालत इस मामले को उठाए। कार्यरत मजिस्ट्रेट को कभी भी आरोपी को 5 दिनों के लिए पीसी नहीं भेजना चाहिए।"

आगे कहा कि अभियोजन एजेंसियों को वकीलों और परिजनों को सूचित करना चाहिए कि वे कब और कहां गिरफ्तार व्यक्तियों की पेशी कर रहे हैं। "यह चूहे और बिल्ली का खेल बंद होना चाहिए।"

आगे कहा कि,

"इसके साथ ही, आरोपी को रिमांड आवेदन दिया जाना चाहिए और मजिस्ट्रेट को प्रभावी कानूनी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना चाहिए।"

वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल ने पूछा कि "ड्रॉप ऑफ हैट" पर लोगों को गिरफ्तार करने की क्या जरूरत थी।"

एडवोकेट सौरभ ने ट्वीट में लिखा कि,

"ड्रॉप ऑफ हैट के अंतर्गत लोगों को क्यों गिरफ्तार करते हैं? अगर कोई दोषी है, तो मुकदमा चलाएं और उसे सजा दें। प्री- ट्रायल गिरफ्तारी (सजा के लिए एक विकल्प के रूप में) पुलिस की जांच का एक दायित्व है। एक नागरिक के रूप में यह हमें सुन्न कर देता है।"

NDTV से बात करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. कॉलिन गोंसाल्विस ने कहा कि तथाकथित "टूलकिट" केवल शांतिपूर्ण विरोध के लिए एक मैनुअल था, और इसमें हिंसा के लिए कोई सामग्री नहीं थी।

आगे पूछा कि,

"हमें टूलकिट से बताएं, आपके पास जो भी संस्करण है, उनमें से कौन-सी पंक्ति आपराधिक अपराध है?"

दिशा रवि को दिल्ली पुलिस द्वारा 4 फरवरी को ट्विटर पर किसानों के विरोध प्रदर्शन के बारे में अंतरराष्ट्रीय जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग द्वारा साझा किए गए एक 'टूलकिट' पर दर्ज एफआईआर में गिरफ्तार किया गया है।

बिना नाम के व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक साजिश, राजद्रोह और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न अन्य धाराओं के आरोप में मामला दर्ज किया गया था।

दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिशा रवि दस्तावेज़ के निर्माण और प्रसार में टूलकिट गूगल डॉक और मुख्य साजिशकर्ता की संपादक हैं।

दिल्ली पुलिस ने रिमांड में लेने के बाद ट्वीट में लिखा कि,

"उसने व्हाट्सएप ग्रुप शुरू किया और टूलकिट डॉक बनाने के लिए सहयोग किया। दस्तावेज का मसौदा तैयार करने के लिए उनके साथ मिलकर काम किया।

इस प्रक्रिया में, वे सभी भारतीय राज्य के खिलाफ असहमति फैलाने के लिए खालिस्तानी काव्य न्याय फाउंडेशन के साथ सहयोग किया। इसने ग्रेटा थनबर्ग के साथ टूलकिट डॉक को साझा किया था। गलती से सार्वजनिक डोमेन में आने के बाद ग्रेटा को डॉक को हटाने के लिए कहा। यह 2 लाइनों के संपादन से कई गुना अधिक है।"

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