इनरोलमेंट के लिए आधार कार्ड और दिल्ली या एनसीआर पते वाला मतदाता पहचान पत्र अनिवार्य करने पर पुनर्विचार कर रहे हैं: दिल्ली हाईकोर्ट में बीसीडी ने कहा
बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि वह भविष्य के इनरोलमेंट के लिए आधार कार्ड और दिल्ली या एनसीआर क्षेत्र के पते वाले मतदाता पहचान पत्र को अनिवार्य करने वाली हालिया अधिसूचना पर पुनर्विचार कर रहा है।
जस्टिस प्रतिभा एम सिंह को वकीलों के निकाय की ओर से पेश वकील ने बताया कि 12 मई को होने वाली बैठक में बीसीडी द्वारा इस मामले पर फिर से विचार किया जाएगा।
अदालत अधिसूचना को मनमाना और भेदभावपूर्ण बताते हुए लॉ ग्रेजुएट्स द्वारा दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
कोर्ट ने मामले की सुनवाई स्थगित करते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया को उठाए गए मुद्दे पर संक्षिप्त हलफनामा दाखिल करने को कहा।
अदालत ने कहा, "चूंकि मामला बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के पुनर्विचार के तहत बताया गया है, इसलिए 23 मई को सूची तैयार करें।"
बीसीडी द्वारा जारी अधिसूचना में वकीलों के निकाय ने कहा कि जो कानून स्नातक नामांकन के लिए आवेदन करना चाहते हैं, उन्हें नामांकन आवेदन के साथ अपने आधार कार्ड और दिल्ली या एनसीआर के मतदाता पहचान पत्र की कॉपी संलग्न करनी होगी।
नोटिस में कहा गया है, "अब से दिल्ली/एनसीआर के पते वाले आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र की प्रति के बिना कोई नामांकन नहीं किया जाएगा।"
याचिकाकर्ताओं में से एक एडवोकेट रजनी कुमार, कैंपस लॉ सेंटर, दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ में ग्रेजुएट्स हैं।
उनका मामला यह है कि उक्त दस्तावेजों को देने की अनिवार्य आवश्यकता उन कानून स्नातकों के साथ भेदभाव करती है जिनके पास दिल्ली या एनसीआर में कोई पता नहीं है और उनके आवासीय पते के आधार पर कानून स्नातकों के बीच एक मनमाना वर्गीकरण भी बनाता है।
टाइटल : रजनी कुमारी बनाम बीसीडी और अन्य संबंधित मामले