केरल हाईकोर्ट ने टीकाकरण प्रमाणपत्र से प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर हटाने की मांग वाली याचिका खारिज की

Update: 2021-11-03 03:57 GMT

केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें COVID-19 का टीका लगाए जाने पर नागरिकों को जारी किए गए टीकाकरण प्रमाणपत्रों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर हटाने की मांग की गई थी।

याचिकाकर्ता का मुख्य आरोप यह था कि टीकाकरण प्रमाणपत्र उसका निजी स्थान है और उस पर उसके कुछ अधिकार हैं।

न्यायमूर्ति एन. नागरेश ने याचिका की अनुमति देने के व्यापक प्रभावों पर विचार करते हुए मौखिक रूप से टिप्पणी की,

"यह एक बहुत ही खतरनाक प्रस्ताव है। कल कोई यहां आकर विरोध कर सकता है कि वे महात्मा गांधी को पसंद नहीं करते हैं और हमारी मुद्रा से उनकी तस्वीर को हटाने की मांग कर सकते हैं, यह कहते हुए कि यह उनका खून और पसीना है और वे उनका चेहरा इस पर नहीं देखना चाहते हैं। तब क्या होगा?"

एडवोकेट अजीत जॉय ने जवाब दिया कि महात्मा गांधी का चित्र भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार मुद्रा पर छपा है, जबकि प्रधानमंत्री की तस्वीर किसी वैधानिक प्रावधान के आधार पर नहीं लगाई गई है।

एएसजी ने मामले में बयान दाखिल करने के लिए और समय मांगा। तदनुसार, अदालत ने मामले को 23 नवंबर के लिए पोस्ट किया।

याचिकाकर्ता भारत का एक वरिष्ठ नागरिक और एक आरटीआई कार्यकर्ता है। इनका एक निजी अस्पताल से भुगतान करके COVID-19 टीकाकरण हुआ। जल्द ही उन्हें टीकाकरण के प्रमाण के रूप में प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ, जिस पर एक संदेश के साथ भारत के प्रधान मंत्री की तस्वीर थी।

याचिकाकर्ता इसी से व्यथित होकर कई मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए न्यायालय का रुख किया।

याचिकाकर्ता में कहा गया है कि याचिकाकर्ता के COVID-19 टीकाकरण प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री की तस्वीर उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

इसके अतिरिक्त, याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की है कि जरूरत पड़ने पर इस तरह का प्रमाण पत्र बनाने के लिए उसे COWIN प्लेटफॉर्म तक पहुंच के साथ प्रधान मंत्री की तस्वीर के बिना COVID-19 टीकाकरण प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता है।

केस का शीर्षक: पीटर मायलीपरम्पिल बनाम भारत संघ एंड अन्य।

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